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सार
जांच के दौरान एसआईटी ने गवाहों के बयान लिए तो पता चला कि वीरेंद्र ही मुख्य साजिशकर्ता था और वारदात में भी शामिल था। खुद के बचाव के लिए उसने वादी बनकर एफआईआर दर्ज करा दी थी। इस केस के विवेचक दरोगा एसपी सिंह ने बताया कि साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर डेयरी संचालक को आरोपी बनाया गया है।
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सिख विरोधी दंगों में शामिल एक डेयरी संचालक बेनकाब हो गया है। दंगे में उसकी मुख्य भूमिका थी, लेकिन बचाव के लिए वही केस का वादी बन गया था। 37 साल से वह पुलिस को गुमराह करता आ रहा था। अब एसआईटी ने राजफाश करते हुए उसे आरोपी बना लिया है।
उसका नाम वीरेंद्र यादव है। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में किदवईनगर इलाके में सतवीर सिंह, रक्षपाल सिंह, भूपेंदर सिंह और एक अन्य की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी। एसआईटी इस केस की जांच कर रही है। वर्तमान में टीम पंजाब के अलग-अलग शहरों में जाकर गवाहों के बयान दर्ज कर रही है।
केस में डेयरी संचालक वीरेंद्र यादव वादी था। ये घटनास्थल के सामने रहता है। जांच के दौरान एसआईटी ने गवाहों के बयान लिए तो पता चला कि वीरेंद्र ही मुख्य साजिशकर्ता था और वारदात में भी शामिल था।
खुद के बचाव के लिए उसने वादी बनकर एफआईआर दर्ज करा दी थी। इस केस के विवेचक दरोगा एसपी सिंह ने बताया कि साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर डेयरी संचालक को आरोपी बनाया गया है। विवेचना पूरी होने के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसआईटी भी नहीं समझ पाई
केस का वादी होने की वजह से एसआईटी ने शुरुआती जांच में ही वीरेंद्र के बयान दर्ज किए थे। उस समय पीड़ित बनकर उसने जो कहानी बताई, उस पर एसआईटी ने यकीन भी कर लिया था। एसआईटी इस केस से जुड़े तमाम लोगों के बयान दर्ज चुकी है।
इसमें पीड़ित परिवार के परिजन भी शामिल हैं। चश्मदीदों ने स्पष्ट रूप से डेयरी संचालक का नाम लिया। उन्होंने बताया कि उस मकान में डेयरी संचालक के नेतृत्व में भीड़ दाखिल हुई थी। हत्या में उसका भी हाथ है। ये तथ्य कई लोगों के बयान में आया है।
14 लोगों के बयान लिए
पंजाब में एसआईटी ने रविवार को गोविंदनगर के दो और किदवईनगर के एक केस से संबंधित गवाहों के बयान दर्ज किए। पिछले 10 दिनों से एसआईटी वहां जांच कर रही है। हर किसी ने दंगों के दिनों की बर्बरता बयां की। एसआईटी अभी एक सप्ताह और वहीं रहेगी।
विस्तार
सिख विरोधी दंगों में शामिल एक डेयरी संचालक बेनकाब हो गया है। दंगे में उसकी मुख्य भूमिका थी, लेकिन बचाव के लिए वही केस का वादी बन गया था। 37 साल से वह पुलिस को गुमराह करता आ रहा था। अब एसआईटी ने राजफाश करते हुए उसे आरोपी बना लिया है।
उसका नाम वीरेंद्र यादव है। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में किदवईनगर इलाके में सतवीर सिंह, रक्षपाल सिंह, भूपेंदर सिंह और एक अन्य की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी। एसआईटी इस केस की जांच कर रही है। वर्तमान में टीम पंजाब के अलग-अलग शहरों में जाकर गवाहों के बयान दर्ज कर रही है।
केस में डेयरी संचालक वीरेंद्र यादव वादी था। ये घटनास्थल के सामने रहता है। जांच के दौरान एसआईटी ने गवाहों के बयान लिए तो पता चला कि वीरेंद्र ही मुख्य साजिशकर्ता था और वारदात में भी शामिल था।
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