सार
योगीराज 2.0 में जातिगत समीकरणों को साधने के साथ इस जीत का तोहफा देहात जिले को मिला है। नई सरकार में देहात जिले से एक कैबिनेट और दो राज्यमंत्री बनाए गए हैं। पिछली सरकार में यहां से सिकंदरा विधायक अजीत पाल को राज्यमंत्री बनाया गया था। उन्हें इस बार भी यही जिम्मेदारी दी गई है।
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कानपुर नगर की बात करें या देहात… दोनों जगहों पर इस चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन वैसा ही रहा, जैसा वर्ष 2017 में था। इसके बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नई टीम में कानपुर को नजरंदाज कर दिया गया। चौंकाने वाली बात तो यह रही कि लगातार आठवीं बार विधायक चुने गए सतीश महाना को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, जबकि पिछली सरकार में वह औद्योगिक विकास मंत्री थे।
इसके उलट योगीराज 2.0 में देहात जिले को लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप करने का तोहफा मिला। यहां से तीन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। नगर में भाजपा ने छह और अपना दल ने एक सीट जीती। इतनी ही सीटें भाजपा ने पिछले चुनाव में भी जीती थीं।
तब सरकार में महानगर से चार विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। सतीश महाना, सत्यदेव पचौरी और दिवंगत कमलरानी वरुण को कैबिनेट मंत्री और नीलिमा कटियार को राज्यमंत्री बनाया गया था।
हालांकि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पचौरी के सांसद चुने जाने और कोरोना संक्रमण से कमलरानी के निधन के बाद मंत्रिमंडल में कानपुर का प्रतिनिधित्व घटकर दो रह गया था। देहात की बात करें तो यहां भाजपा ने लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप करते हुए चारों सीटों पर कब्जा जमाया है।
योगीराज 2.0 में जातिगत समीकरणों को साधने के साथ इस जीत का तोहफा देहात जिले को मिला है। नई सरकार में देहात जिले से एक कैबिनेट और दो राज्यमंत्री बनाए गए हैं। पिछली सरकार में यहां से सिकंदरा विधायक अजीत पाल को राज्यमंत्री बनाया गया था। उन्हें इस बार भी यही जिम्मेदारी दी गई है।
चुनाव से पहले आए और छा गए सचान
विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले राकेश सचान की राजनीतिक गलियारों में सबसे अधिक चर्चा है। भोगनीपुर से विधायक चुने गए सचान कानपुर-बुंदेलखंड से इकलौते कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। माना जा रहा है कि कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों में मजबूत पकड़ के चलते उन्हें तवज्जो मिली है। इनके अलावा ब्राह्मण चेहरे के रूप में अकबरपुर-रनियां से लगातार दूसरी बार विधायक चुनी गईं प्रतिभा शुक्ला को राज्यमंत्री बनाया गया है।
…और महानगर हाथ मलता रह गया
वर्ष 2017 की योगी सरकार में एक जिले से सबसे अधिक मंत्री बनाए जाने के मामले में कानपुर शीर्ष जिलों में शामिल था। चार-चार मंत्रियों का तोहफा पाकर शहरवासी भी गदगद थे। इस बार वही प्रदर्शन और जनता का वैसा ही भरोसा जीतने के बाद भी मंत्रिमंडल में कानपुर के नजरंदाज होने से भाजपा के समर्थकों में थोड़ी मायूसी नजर आई। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी होती रहीं।
विस्तार
कानपुर नगर की बात करें या देहात… दोनों जगहों पर इस चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन वैसा ही रहा, जैसा वर्ष 2017 में था। इसके बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नई टीम में कानपुर को नजरंदाज कर दिया गया। चौंकाने वाली बात तो यह रही कि लगातार आठवीं बार विधायक चुने गए सतीश महाना को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, जबकि पिछली सरकार में वह औद्योगिक विकास मंत्री थे।
इसके उलट योगीराज 2.0 में देहात जिले को लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप करने का तोहफा मिला। यहां से तीन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। नगर में भाजपा ने छह और अपना दल ने एक सीट जीती। इतनी ही सीटें भाजपा ने पिछले चुनाव में भी जीती थीं।
तब सरकार में महानगर से चार विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। सतीश महाना, सत्यदेव पचौरी और दिवंगत कमलरानी वरुण को कैबिनेट मंत्री और नीलिमा कटियार को राज्यमंत्री बनाया गया था।
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