सार
यूपी बोर्ड के साथ परिषदीय स्कूलों की वार्षिक परीक्षाएं भी शुरू हो गईं। स्कूलों में पहले दिन अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा। एक स्कूल में हिंदी की परीक्षा में अंग्रेजी का प्रश्नपत्र भेज दिया गया।
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आगरा जिले में परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गुरुवार से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गईं। कोरोना महामारी की वजह से दो वर्ष बाद परीक्षा हो रही है। परीक्षा में अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा। पहले दिन कक्षा पांच के विद्यार्थियों की हिंदी की परीक्षा थी, प्राथमिक विद्यालय शाहगंज, प्रथम में अंग्रेजी का प्रश्नपत्र भेज दिया गया। प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन परेशान हो गईं। पास के कंपोजिट विद्यालय, रुई की मंडी से हिंदी का एक प्रश्नपत्र मांगकर लाईं, इसके बाद परीक्षा शुरू हो सकी।
लिफाफे में लिखा हिंदी, अंदर अंग्रेजी के प्रश्नपत्र
लिफाफे में कक्षा दो से पांच तक के विद्यार्थियों के हिंदी के प्रश्नपत्र लिखकर आए थे। लिफाफा खोलने पर पता चला कि कक्षा पांच का हिंदी के बजाय अंग्रेजी का प्रश्नपत्र आया है। विद्यालय को नमक की मंडी, शाहगंज से रुई की मंडी में शिफ्ट किया गया है। एक कक्षा में ही कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थी बैठकर परीक्षा दे रहे थे। कंपोजिट विद्यालय, रुई की मंडी में विद्यार्थियों को सीटिंग प्लान से नहीं बैठाया गया था। एक कक्षा के विद्यार्थी एक ही साथ वह भी सटकर बैठे थे। एक-दूसरे की कॉपी में देखकर ही उत्तर लिख रहे थे।
डायट परिसर स्थित कंपोजिट विद्यालय का आधा भवन टूटा हुआ है। आधे में कंपोजिट विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ प्राचीन प्राथमिक विद्यालय, धाकरान के विद्यार्थी बैठकर परीक्षा दे रहे थे। तीन कक्षों में 171 विद्यार्थी एक-दूसरे के साथ सटकर बैठे थे, परीक्षा जैसा माहौल नहीं था। एक-दूसरे की कॉपी देखकर और बात करके विद्यार्थी प्रश्नपत्र हल कर रहे थे।
स्कूलों में 50 फीसदी विद्यार्थियों की भी उपस्थिति नहीं
परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षा में भी परीक्षार्थियों की उपस्थिति कम रही। कुछ स्कूलों में 50 फीसदी विद्यार्थी भी नहीं पहुंचे। कंपोजिट विद्यालय, रुई की मंडी में 180 विद्यार्थियों का पंजीकरण है। पहले दिन की पहली पाली की परीक्षा में महज 75 परीक्षार्थी ही पहुंचे थे। इंचार्ज प्रधानाध्यापिका वसीम फातिमा ने बताया कि विद्यार्थियों को घर से बुलवाना पड़ रहा है। विद्यार्थी परीक्षा को भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
प्राथमिक विद्यालय, शाहगंज प्रथम में 40 विद्यार्थियों का पंजीकरण है, महज 12 परीक्षा देने पहुंचे। प्राचीन प्राथमिक विद्यालय, धाकरान में पंजीकृत 54 में से 31 विद्यार्थी पहुंचे थे। विद्यालय स्थानांतरित हुआ है। प्रधानाध्यापिका शीला ने बताया कि फोन करके विद्यार्थियों को बुलाया गया। कंपोजिट विद्यालय, डायट परिसर में जरूर उपस्थिति ठीक रही। 150 में से 140 विद्यार्थी परीक्षा देने पहुंचे थे।
पूर्णांक 50 अंक का, प्रश्न 33 अंक के ही पूछे गए
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से छपवाए गए प्रश्नपत्रों में त्रुटियां भी हैं। कक्षा तीन के हिंदी विषय के प्रश्नपत्र पर पूर्णांक 50 लिखा था। जबकि प्रश्नों के सामने दिए गए अंकों का योग 33 ही हो रहा था। तीन मौखिक प्रश्न दिए गए थे, यह पूछे जाने थे, इनके सामने अंक नहीं लिखे गए थे। कक्षा चार के हिंदी प्रश्नपत्र में भी पूर्णांक 50 दिया गया था, जबकि प्रश्नों के सामने दिए गए अंकों का योग 35 ही हो रहा था। तीन मौखिक प्रश्न दिए गए थे, उसके आगे अंक नहीं लिखे गए थे। मौखिक की जगह ‘मौलिख’ लिखा हुआ था।
विस्तार
आगरा जिले में परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गुरुवार से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गईं। कोरोना महामारी की वजह से दो वर्ष बाद परीक्षा हो रही है। परीक्षा में अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा। पहले दिन कक्षा पांच के विद्यार्थियों की हिंदी की परीक्षा थी, प्राथमिक विद्यालय शाहगंज, प्रथम में अंग्रेजी का प्रश्नपत्र भेज दिया गया। प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन परेशान हो गईं। पास के कंपोजिट विद्यालय, रुई की मंडी से हिंदी का एक प्रश्नपत्र मांगकर लाईं, इसके बाद परीक्षा शुरू हो सकी।
लिफाफे में लिखा हिंदी, अंदर अंग्रेजी के प्रश्नपत्र
लिफाफे में कक्षा दो से पांच तक के विद्यार्थियों के हिंदी के प्रश्नपत्र लिखकर आए थे। लिफाफा खोलने पर पता चला कि कक्षा पांच का हिंदी के बजाय अंग्रेजी का प्रश्नपत्र आया है। विद्यालय को नमक की मंडी, शाहगंज से रुई की मंडी में शिफ्ट किया गया है। एक कक्षा में ही कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थी बैठकर परीक्षा दे रहे थे। कंपोजिट विद्यालय, रुई की मंडी में विद्यार्थियों को सीटिंग प्लान से नहीं बैठाया गया था। एक कक्षा के विद्यार्थी एक ही साथ वह भी सटकर बैठे थे। एक-दूसरे की कॉपी में देखकर ही उत्तर लिख रहे थे।
डायट परिसर स्थित कंपोजिट विद्यालय का आधा भवन टूटा हुआ है। आधे में कंपोजिट विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ प्राचीन प्राथमिक विद्यालय, धाकरान के विद्यार्थी बैठकर परीक्षा दे रहे थे। तीन कक्षों में 171 विद्यार्थी एक-दूसरे के साथ सटकर बैठे थे, परीक्षा जैसा माहौल नहीं था। एक-दूसरे की कॉपी देखकर और बात करके विद्यार्थी प्रश्नपत्र हल कर रहे थे।
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