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Yogi Cabinet: कितना अलग दिखेगी योगी 2.0 सरकार, जानिए कैसा बदला दिख सकता है स्वरूप

लखनऊ : 2017 में भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 14 साल बाद सरकार में वापसी की थी। सरकार चलाने का अनुभव नहीं था। 325 सीटों के भारी बहुमत से सरकार में आई बीजेपी को मंत्रियों के चेहरे चुनने में भी कई सारे ‘एडजस्टमेंट’ करने पड़े थे। अब 2022 में हालात कुछ अलग हैं। यही वजह है कि योगी 2.0 सरकार (Yogi 2.0 Government) पिछली बार से बिल्कुल अलग दिखने की तैयारी में है। सरकार अलग दिखे, इसी वजह से यूपी की नब्ज समझने वाले और यहां के प्रभारी रह चुके केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) को सरकार चुनने की जिम्मेदारी दी गई है। एक बीजेपी नेता की मानें तो ‘यह सरकार इस तरह काम करेगी कि आने वाले 25 सालों में बीजेपी के अलावा प्रदेश को कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखेगा। सरकार के काम पहले दिन से ही नजर आने लगेंगे, जिसमें सबका साथ और सबका विकास दिखेगा।’

महिला-युवा-रोजगार पर बढ़ेगा फोकस
नई सरकार का फोकस महिलाओं के साथ युवाओं और रोजगार के अवसर दिलाने पर रहेगा। योजना बन रही है कि सरकार बनते ही जल्दी ही सरकारी भर्तियां शुरू की जाएं। इनमें महिलाओं को वरीयता दी जाएगी। यही नहीं, सरकार बुजुर्ग महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा कराने और कॉलेज जाने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने की योजना को जल्दी ही लागू करने जा रही है। करीब दो करोड़ युवाओं को टैबलेट और स्मार्टफोन देने की योजना तैयार है, सरकार बनते ही इसे बांटा जा सकता है। इसके अलावा, रोजगार के लिए नए विकल्पों पर काम किया जाएगा। जल्दी ही सरकार के बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, गंगा एक्सप्रेस वे, जेवर एयरपोर्ट जैसी योजनाओं पर काम चल रहा है। ऐसी ही कुछ और योजनाओं पर काम आगे बढ़ेगा।

पुराने के साथ नए एजेंडे पर होगा काम
बीजेपी सरकार अब 2024 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से नए एजेंडे पर काम करेगी। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी अपने मूल एजेंडे पर काम करती रहेगी। दलित और पिछड़े समाज के महापुरुषों के स्मारकों को भव्य बनाने के साथ भोजपुरी, बुंदेली, अवधी, बृजभाषा के लिए स्थानीय स्तर पर अकादमी बनाकर वहीं पर रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। वहीं, गांवों को ‘मॉडल गांव’ बनाने की योजना पर काम होगा। बीजेपी नेता कहते हैं कि रोजगार, छुट्टा जानवर, राशन वितरण और सख्त प्रशासन जैसे मुद्दे हमें चुनाव में नजर आए हैं।

छुट्टा पशु के मुद्दे का जिक्र तो चुनाव में विपक्ष के साथ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और इस समस्या के समाधान का वादा भी किया था। इसलिए अब बीजेपी सरकार पहले दिन से ही इस पर काम करेगी। छुट्टा पशुओं की समस्या दूर करने के लिए भी सरकार नई गौशालाएं बनाने के साथ कुछ आर्थिक मदद भी देने की योजना पर काम करेगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कहते हैं कि हम संकल्प पत्र के वादों को पूरा करने में जुटेंगे और पहले से ही सरकार किसानों और गरीबों के लिए जिन योजनाओं पर काम कर रही थी, उसी को आगे बढ़ाएगे।

दरअसल, बीजेपी का मानना है कि यूपी में बहुमत हासिल करने में गरीब लाभार्थियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। गरीबों को मिलने वाले मुफ्त राशन ने सभी जातीय बंधनों को तोड़कर बीजेपी को वोट दिया। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने जीत के बाद माना कि यह वर्ग बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा रहा। सरकार बनने के बाद सबसे पहले मुफ्त राशन बांटने की योजना को आगे बढ़ाने की तैयारी में है।

सूत्रों के अनुसार, सरकार किसानों के लिए अगले पांच सालों में सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली दिए जाने की योजना जल्दी ही लागू करेगी। योगी सरकार के सख्त प्रशासन से खासतौर पर पश्चिमी यूपी में कई सीटों का गणित बदलने में सफल रही है, इस वजह से वहां पुलिस सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा। इनमें कुछ और जिलों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया जा सकता है। आगरा, मेरठ, गाजियाबाद और प्रयागराज से इसकी शुरुआत हो सकती है।

कैबिनेट में प्रफेशनल, उच्च शिक्षित को वरीयता
इस बार मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों के साथ विधायकों की उच्च शिक्षा और उनके प्रफेशनल और प्रशासनिक अनुभव पर फोकस किया जाएगा। इस बार बीजेपी गठबंधन से 32 महिलाएं जीतकर आई हैं। उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। बीजेपी को गैर यादव पिछड़ों के अलावा दलितों और महिलाओं का वोट बहुतायत में मिला है। बीएसपी को 2017 में 22 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, इस बार उसे करीब 13 फीसदी वोट मिले हैं। बीएसपी के इस वोट बैंक में नौ फीसदी की कमी आई है।

बीजेपी मानती है कि बीएसपी के खिसके दलित वोट बैंक ने बीजेपी को चुना है, इसलिए इस बार दलितों की मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी बढ़ेगी। बीजेपी से इस बार 19 जाटव, 18 पासी, 5 खटीक विधायक जीते हैं। वहीं, पिछड़े वर्ग में 27 कुर्मी बीजेपी गठबंधन से, 15 लोध, 8 जाट, और 12 मौर्य, शाक्य, सैनी और कुशवाहा विधायक जीते हैं। निषाद, बिंद, कश्यप, मल्लाह जातियों से 7 विधायक बीजेपी गठबंधन से जीते हैं। बीजेपी अगड़ों और गैर यादव पिछड़ों के साथ अब दलितों को जोड़कर आगे बढ़ना चाहती है।

2024 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से बीजेपी अपने इसी’अपराजेय’ सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्म्युले को आजमाएगी। पिछली सरकार के मंत्रिमंडल में सीएम के अलावा दो डिप्टी सीएम, 22 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 13 राज्य मंत्री शामिल थे। इन मंत्रियों में 25 अगड़े, 15 पिछड़े और पांच दलित चेहरे शामिल थे। एक मुस्लिम और एक सिख चेहरे को भी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया गया था। पिछड़ों में दो मौर्य, तीन कुर्मी, दो लोध, दो जाट, दो राजभर और एक-एक लोनिया चौहान, निषाद, सैनी और यादव को मंत्री बनाया गया था। इनमें से कुछ मंत्रियों को परफार्मेंस और समीकरणों के आधार पर हटा दिया गया।

योगी सरकार ने पिछले साल सितंबर में आखिरी बार मंत्रिमंडल विस्तार किया तो कुल 60 मंत्रियों में 28 सवर्ण, 21 पिछड़े, 7 अनुसूचित जाति, एक अनुसूचित जनजाति, एक मुस्लिम और एक सिख मंत्री सरकार का हिस्सा थे।