Raj kishor
Jamshedpur : लौहनगरी जमशेदपुर तो सड़क दुर्घटनाओं के मामले में चर्चित रहा ही है, पड़ोसी जिला सरायकेला की सड़कें कम खूनी साबित नहीं होती आयी हैं. ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो सरायकेला में एक साल में सड़क दुर्घटनाओं में 170 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि करीब सवा सौ लोग घायल हुये हैं. ये आंकड़े जनवरी 2021 से फरवरी 2022 तक के हैं. इस दौरान जिले में कुल 215 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है.
यहां बता दें कि वर्ष पहले एक समय ऐसा था जब टाटा-कांड्रा-सरायकेला रोड की जर्जर हालत थी. उस दौरान भी आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती थी, जिसमें कईयों की जान जाती थी तो कई लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते थे. उस दौरान सारी दुर्घटनाओं के लिए जर्जर सड़क को ही जिम्मेदार ठहाराया जाता था. फिर हालत यह हुई कि आदित्यपुर की सामाजिक संस्था जनकल्याण मोर्चा के बैनर तले स्थानीय लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया. यहां तक कि कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई. नतीजन आदित्यपुर-टाटा-कांड्रा फोरलेन सड़क का निर्माण हुआ. बावजूद इसके जिले में सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई है. यहां बात सिर्फ आदित्यपुर-टाटा-कांड्रा और सरायकेला रोड की नहीं हो रही है, बल्कि पूरे जिले की हो रही है. इसमें राजनगर और चांडिल, चौका, ईचागढ़ क्षेत्र भी शामिल है.
होली के दिन सड़क दुर्घटना में दो बाइक सवार की गई जान, खुशियां बदली मातम में
अब तो आलम यह है कि सड़क दुर्घटनाओं की वजह से पर्व -त्योहार की खुशियां भी मातम में बदलने में देर नहीं लग रही है. घटना जिले के सरायकेला ओपी अंतर्गत संजय ग्राम के पास शनिवार को तब घटी जब एक जब बाइक संख्या- JH05BQ-4051 को एक अज्ञात वाहन ने अपनी चपेट में ले लिया. इस घटना में मौके पर ही बाइक सवार दो युवकों की दर्दनाक मौत हो गई. इससे पहले कांड्रा-सरायकेला रोड पर कोलाबीरा में कई दर्दनाक हादसे हो चुके हैं. इन हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है.
खड़े वाहनों में ठोकर मारने से हो चुकी है 95 लोगों की मौत
हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले की सड़कों पर खड़े वाहनों में ठोकर मारने से बीते 14 महीने में 95 लोगों की मौत हो चुकी है. इस तरह की अधिकांश दुर्घटनाएं टाटा-कांड्रा के अलावा सरायकेला-कांड्रा, चौका-कांड्रा और राजनगर-हाता रोड पर हुई है. दरअसल इन सड़कों के किनारे जहां-तहां होटल और ढ़ाबों के पास ट्रक, ट्रेलर और हाइवा जैसी बड़ी वाहनें कतार में खडी रहती है. इन वाहनों से गाहे-बगाहे बाइक और स्कूटी चालक टकरा जाते हैं. इनमें कईयों की मौत हो जाती है, जबकि कई घायल हो जाते हैं. यह मामला काफी हद तक वाहन चलाते वक्त बरती जानेवाली लापरवाही से ही जुड़ा है.
कारगर साबित नहीं हो रहे हैं जिला प्रशासन से उपाय
इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कई उपाय कर रखे हैं. यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस और सड़क सुरक्षा समिति भी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयासरत है. सड़क दुर्घटनाओं को रोकने लिए जिलेभर में 32 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये हैं. ताकि लोग सतर्क रह सकें. फिर भी दुर्घटनाओं पर अंकुश नहीं लगना कहीं न कहीं साबित करता है कि जिला प्रशासन के अब तक के उपाय उतने कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं, जितना होना चाहिए. हालांकि इसमें भी शक नहीं है कि कई दुर्घटनाओं के लिए वाहन चालकों की लापरवाही भी जिम्मेदार है.
वाहन चालकों में जागरूकता जरूरी, ड्रंक एंड ड्राइव गंभीर मामला
इस मामले में जिला परिवहन पदाधिकारी दिनेश रंजन का कहना है कि सड़क दुर्घनाओं पर अंकुश लगाने के लिए विभाग की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है. जिन जगहों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है वहां साइन बोर्ड भी लगाया गया है, ताकि लोग सतर्क और सावधान रहें. यहां तक कि सड़क पर स्पीड लिमिट को लेकर ब्रेकर भी लगाया गया है. बावजूद इसके कई बार अन्य तरह की लापरवाहियां सामने आती हैं. इसमें ड्रंक एंड ड्राइव का भी एक गंभीर मामला है. इसके खिलाफ भी अभियान चलाया जाता है. हालांकि सबसे जरूरी है कि लोग इसे लेकर खुद जागरूक हों.
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