उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। इनमें से चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी की दोबारा जीत से फिर साबित हो गया है कि जनता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करिश्मा कायम है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी प्रचंड जनादेश हासिल कर एक बार फिर सरकार बनाने की स्थिति में है। यूपी की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी की जोड़ी पर फिर से भरोसा जताया है। लोगों ने दोनों के नाम पर वोट किया है।
सूबे के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो यह पिछले 37 सालों में पहली बार हो रहा है जब जनता ने किसी एक चेहरे को लगातार दूसरी बार मौका दिया हो। इन चुनाव परिणामों ने नोएडा को लेकर एक मिथक को भी खत्म कर दिया कि जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है, वो प्रदेश में दोबारा सत्ता में नहीं आता। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन और सीएम योगी के नेतृत्व ने मिलकर इन चुनावों में बड़ी सफलता अर्जित की है। प्रधानमंत्री मोदी के सुशासन मॉडल को इस जीत का श्रेय दिया जा रहा है।
यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद यह साबित हो चुका है कि जनता ने योगी को ही उपयोगी माना है और यूपी सरकार के कामों पर मुहर लगाई है। जब प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने योगी को प्रदेश के लिए उपयोगी के तौर पर प्रोजेक्ट किया था, वह घोषणा भी सही साबित हुई। योगी आदित्यनाथ लोगों को यह समझाने में कामयाब हुए कि कानून व्यवस्था बेहतर रही तो प्रदेश का विकास तेजी से होगा। महिलाओं ने अखिलेश के किसी भी वादे की बजाय योगी के कानून व्यवस्था पर भरोसा जताया।
बीजेपी की इस जीत को कुछ आंकड़ों के जरिए समझने में आसानी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी। बीजेपी ने 2017 के अपने मत प्रतिशत को बरकरार रखा है। पिछले तीन दशक में ऐसा कभी देखने को नहीं मिला। अगर 2017 विधानसभा चुनावों की बात करें, तो पिछली बार बीजेपी को अपने साथियों समेत 41 प्रतिशत से थोड़ा अधिक वोट मिले थे, लेकिन इस बार बीजेपी को अकेले 42 प्रतिशत के आस-पास वोट मिलते दिख रहे हैं। उधर समाजवादी पार्टी को करीब 32 प्रतिशत के आस-पास वोट मिले हैं।
उधर उत्तराखंड में जो आज तक नहीं हुआ, वो इस बार होता दिख रहा है। इतिहास में पहली बार कोई सत्तारूढ़ पार्टी अपनी सत्ता कायम रखने में कामयाब हो रही है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद हुए मतगणना में बीजेपी स्पष्ट बहुमत हासिल कर चुकी है। उत्तराखंड में बीते पांच साल में बीजेपी द्वारा तीन बार मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस बीजेपी के कमजोर नेतृत्व का सवाल उठाते हुए सूबे में अपनी दावेदारी पेश कर रही थी। इससे उत्तराखंड में एक नया इतिहास बनता हुआ नजर आ रहा है।
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