प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कच्छ में वर्चुअल सेमिनार को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि कच्छ की धरती सदियों से नारीशक्ति और सामर्थ्य की प्रतीक रही है। यहां की महिलाओं ने पूरे समाज को कठोर प्राकृतिक चुनौतियों के बीच जीना सिखाया है, जूझना सिखाया है और जीतना सिखाया है। जल संरक्षण को लेकर कच्छ की महिलाओं ने जो भूमिका निभाई, पानी समिति बनाकर जो कार्य किए, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला है।
पीएम मोदी ने कहा कि सीमावर्ती गाँवों में वहां के लोगों पर देश की विशेष जिम्मेदारियां रहती हैं। कच्छ की वीरांगना नारियों ने हमेशा इस दायित्व का भी बखूबी निर्वहन किया है। जब 1971 के युद्ध में दुश्मन सेना ने भुज की एयरस्ट्रिप पर बम बरसाकर उसे नष्ट कर दिया था। तब यहां की महिलाओं ने अपने जीवन की परवाह न करके उस एयरस्ट्रिप को फिर से बनाया । महिलाओं के ऐसे असाधारण साहस और सामर्थ्य की इस धरती से हमारी मातृशक्ति समाज के लिए सेवायज्ञ शुरू कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत, विश्व की ऐसी बौद्धिक परंपरा का वाहक है, जिसका अस्तित्व उसके दर्शन पर केन्द्रित रहा है। और इस दर्शन का आधार हमारी आध्यात्मिक चेतना रही है। ये आध्यात्मिक चेतना देश की नारी शक्ति पर केंद्रित है। हमने सहर्ष ईश्वरीय सत्ता को भी नारी के रूप में स्थापित किया है। जब हम ईश्वरीय सत्ता को स्त्री और पुरुष दोनों रूपों में देखते हैं, तो स्वभाव से ही, पहली प्राथमिकता नारी सत्ता को देते हैं। फिर चाहे वो सीता-राम हों, राधा-कृष्ण हों, गौरी-गणेश हों, या लक्ष्मी-नारायण हों!
पीएम मोदी ने कहा कि बेटियां पहले भी इतनी ही सक्षम थीं, लेकिन पहले उनके सपनों के सामने पुरानी सोच और अव्यवस्थाओं का बंधन था। हमने इन सारी स्थितियों को बदलने के लिए बहुत सारे कदम उठाए हैं । हमने मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर किया है। वर्क प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए हैं। बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों पर फांसी जैसी सजा का भी प्रावधान किया है। सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले की शुरुआत हुई है।
पीएम मोदी ने कहा कि नारीशक्ति के सशक्तिकरण की इस यात्रा को तेज गति से आगे बढ़ाना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने नारीशक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान हो या कुपोषण के खिलाफ अभियान हो, उसमें आप बहुत बड़ी मदद कर सकती हैं। अब सरकार एक अभियान शुरू करने जा रही है, जिसमें बेटियों के स्कूल प्रवेश का उत्सव मनाया जाएगा। इसमें भी आप लोगों की सक्रिय भागीदारी बहुत मदद करेगी। आजादी के अमृत महोत्सव में देश को आगे बढ़ाने में संत परंपरा आगे आए
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