छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित एवं सक्रिय गौठान तेजी से स्वावलंबन की ओर बढ़ रहे हैं। राज्य में अब तक 2800 गौठान स्वावलंबी हो चुके है। स्वावलंबी गौठान अब स्वयं की आय से गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी करने लगे हैं। स्वावलंबी गौठानों में अब तक अपनी स्वयं की राशि से 12 करोड़ 59 लाख रूपए का गोबर क्रय किया है। स्वावलंबी गौठानों की संख्या राज्य में निर्मित एवं संचालित गौठानों की संख्या के एक तिहाई से भी अधिक है। राज्य में 8349 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं। रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 279 गौठान स्वावलंबी हुए है। दूसरे नंबर राजनांदगांव जिले में 207 तथा तीसरे क्रम जांजगीर-चांपा जिला है, जहां 191 गौठान स्वावलंबी हुए हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में 25, धमतरी में 90, बलौदाबाजार में 84, महासमुंद में 170 तथा रायपुर जिले में 85, कबीरधाम में 141, दुर्ग में 143, बालोद में 67, बेमेतरा में 68, कोरबा में 175, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 25, बिलासपुर में 82, मुंगेली में 82, कोरिया में 104, जशपुर में 75, बलरामपुर में 80, सरगुजा में 92, सूरजपुर में 68, कांकेर में 144, कोण्डगांव में 80, दंतेवाड़ा में 59, नारायणपुर में 7, बस्तर में 102, बीजापुर में 23 तथा सुकमा जिले में 52 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं।
गौरतलब है कि राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अब तक 10591 गांवों में गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 8349 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां पर गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां संचालित हो रही है। वर्तमान में 1752 गौठानांे का तेजी से निर्माण कराया जा रहा है शेष 490 गौठानों के निर्माण का कार्य अभी शुरू कराया जाना है। गौठानों में पशुधन के देखरेख, चारे-पानी एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
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