देवीपाटन/बलरामपुर: उत्तर प्रदेश में चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) हो और मंदिर (Mandir) की चर्चा ना हो, ऐसा शायद ही कभी हुआ हो। यूपी चुनाव (UP Election) में मंदिर का मुद्दा हमेशा से केंद्र में रहा है। लेकिन आज हम राम मंदिर (Ram Mandir) की बात नहीं कर रहे। हम बात कर रहे हैं बलरामपुर जिले (Balrampur Election 2022) में स्थित देवीपाटन मंदिर (Devipatan Temple) की। देवीपाटन मंडल है और इसमें कुल चार जिले, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच और बलरामपुर आते हैं। कुल 20 विधानसभा सीटों वाले इस मंडल के बारे में कहा जाता है कि यहां प्रत्याशियों की जीत और हार में मां दुर्गा के प्रसिद्ध 51 शक्ति पीठों में से एक देवीपाटन मंदिर की बड़ी भूमिका रहती है।
बाहुबली और रियासतदार बदल देते हैं समीकरण
देवीपाटन के चार मंडल में से तीन जिलों में चुनाव हो चुका है। अब बलरामपुर में चुनाव है जहां की चारों विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी के विधायक हैं। बात अगर पूरे मंडल की करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को 20 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी। हार मिली तो श्रावस्ती की भिनगा से बसपा प्रत्याशी मोहम्मद असलम राइनी और जीते। बहराइच की मटेरा विधानसभा सीट सपा के उम्मीदवार यासर शाह निर्वाचित हुए।
पिछले विधानसभा चुनाव परिणामों की जिलेवार बात करें तो बहराइच में सात विधानसभा सीटों में भाजपा छह पर काबिज है जबकि एक सीट सपा के पास है। भाजपा के अक्षयवर लाल बेल्हा से, माधुरी वर्मा नानपारा से, सुरेश्वर सिंह महसी से, अनुपमा जायसवाल बहराइच से,सुभाष त्रिपाठी पयागपुर से विधायक हैं। श्रावस्ती जिले की श्रावस्ती से भाजपा के रामफेरन विधायक हैं। बलरामपुर जिले की सभी 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है। इनमें तुलसीपुर से कैलाश नाथ शुक्ला, गैंसड़ी से शैलेश कुमार सिंह, उतरौला से राम प्रताप उर्फ शशिकांत और बलरामपुर से पलटूराम को जनता ने अपना प्रत्याशी चुना। गोंडा की सभी सात सीटें की बात करें तो मेहनौन से विनय कुमार, गोंडा से प्रतीक भूषण सिंह, कटरा बाजार से बावन सिंह, कर्नेलगंज से अजय प्रताप सिंह, तरबगंज से प्रेम नारायण पांडेय, मनकापुर (सुरक्षित सीट) रमापति शास्त्री और गौरा से प्रभात वर्मा निर्वाचित हुए।
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2022 का माहौल कैसा है?
देवीपाटन मंदिर के महंत मिथलेश नाथ बताते हैं कि देवीपाटन मंडल हमेशा से दिग्गज नेताओं का गढ़ रहा है। चुनावी समीकारण को लेकर वे कहते हैं कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा की लहर है और सभी जिलों में भाजपा जीत रही है। स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार नीरज शुक्ला का कहना है कि इस बार का चुनाव पिछले बार की अपेक्षा कठिन है। अपनी बात जारी रखते हुए वे कहते हैं, ‘देवीपाटन मंडल में सपा के भी दिग्गज नेता राजनीति करते आए हैं। लेकिन अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन ने धीरे-धीरे अन्य दलों को समेट दिया। इसके बाद अगर इस मंडल की बात करेंगे तो यहां देवीपाटन मंदिर की बड़ी भूमिका रही है और इस बार भी रहेगी। वे आगे कहते हैं कि बात अगर बलरामपुर की करें तो यहां थारू जनजातियों की संख्या काफी ज्यादा है। इनके बीच भाजपा की पकड़ हमेशा से अच्छी रही है। कारण यह भी है कि देवीपाटन मंदिर उनके बहुत काम करता है।
बलरामपुर जिले का समीकरण भी समझ लीजिए
देवीपाटन मंडल के चार में से तीन जिलों में चुनाव हो चुका है। बलरामपुर की चारों सीटों पर चुनाव छठवें चरण में होगा। 2017 के चुनाव में जिले की चारों विधानसभा सीट जीतकर शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा के लिए 2022 के चुनाव में इसे दोहरा पाने की कड़ी चुनौती है। जानकार मुस्लिम, पिछड़ा ओर दलित मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या को देख मुकाबले को त्रिकोणीय बता रहे हैं।
सब पर भारी बाहुबली का रसूख
बात अगर यहां की करें तो तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक रंजिश के चलते 45 वर्षीय फिरोज अहमद उर्फ पप्पू की जनवरी महीने में हत्या कर दी गई थी। अब समाजवादी पार्टी ने फिरोज अहमद के दादा अब्दुल मशहूद खान को अपना उम्मीदवार बनाया है। मशहूद खान 2002 और 2012 में दो बार सपा के टिकट पर तुलसीपुर सीट जीत चुके हैं। फिरोज की हत्या की साजिशकर्ता बताई जा रहीं 33 वर्षीय जेबा रिजवान (Zeba Rizwan) निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। वे जेल में रहकर चुनाव लड़ रही हैं और पूर्व सांसद बाहुबली रिजवान जहीर की बेटी हैं। वे सपा से टिकट की मांग कर रहीं थीं। लेकिन कहा जा रहा है कि जीतने पर वे सपा में शामिल हो जाएंगी। अखिलेश यादव से ये बात बोल भी चुके हैं और उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि मशहूद खान मजबूरी के उम्मीदवार हैं।
जेबा रहमान कांग्रेस के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव तुलसीपुर से लड़ चुकी हैं। हालांकि उस चुनाव में वो भाजपा कैलाश नाथ शुक्ला से हार गई थीं। इस चुनाव में शुक्ला फिर भाजपा के टिकट से मैदान में हैं। वहीं बसपा ने भुवन प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है।
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राज्यमंत्री की साख दांव पर
बलरामपुर विधानसभा सीट सुरक्षित है। यहां से भाजपा के विधायक पलटूराम हैं। पिछले वर्ष ही इन्हें राज्यमंत्री बनाया गया। वे इस बार भी मैदान में हैं। सपा ने पूर्व विधायक जगराम पासवान को टिकट दिया है। बसपा ने हरीराम बौद्ध व कांग्रेस ने बबिता आर्या को टिकट दिया है।
सपा, भाजपा और बसपा के पास मौका
गैसड़ी विधानसभा से भाजपा ने विधायक शैलेश सिंह शैलू को फिर से मैदान में उतारा है। सपा ने पूर्व मंत्री डॉ. एसपी यादव को टिकट दिया है। बसपा ने पूर्व विधायक अलाउद्दीन को टिकट देकर लड़ाई त्रिकोणीय बना दी है। कांग्रेस ने डॉ. इश्तियाक अहमद को टिकट दिया है। चुनावी जानकार इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय मान रहे हैं।
कठिन चुनौती स्वीकार रहे सभी
उतरौला सीट से बीजेपी ने विधायक राम प्रताप सिंह को फिर से कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है। बसपा ने राम प्रताप वर्मा को टिकट दिया है। सपा ने गठबंधन के साथी जनवादी पार्टी के लिए यह सीट छोड़ दी है। जनवादी ने इस सीट पर हसीब खान को उतारा है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह को टिकट देकर दिया है। बीजेपी और गठबंधन के बीच लड़ाई में बसपा को कोई नजरअंदाज नहीं कर पा रहा है। त्रिकोणीय लड़ाई की चर्चा हर चौक चौराहे पर सुनने को मिल रही है।
जेबा रिजवान सपा महिला सभा की राष्ट्रीय सचिव रह चुकी हैं। फाइल फोटो
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