सुनील साकेत, आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में नगर निगम के एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी ने आठ साल में करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली है। कर्मचारी के खिलाफ कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन कार्रवाई की फाइलें विभागों में धूल फांकती रहीं। कहा जाता है कि उक्त कर्मचारी की सेटिंग ऐसी है कि अपने खिलाफ कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ने देता है। यही नहीं कर्मचारी की आगरा समेत अन्य जिलों में दर्जनों संपत्तियां हैं। इसके अलावा तमाम लक्जरी गाड़ियां भी हैं। आरोप है कि नगर निगम में होने वाले विकास कार्यों में मोटी कमीशनखोरी की है। इस संबंध में मंडलायुक्त से लेकर शासन तक शिकायतें की गई हैं।
राकेश बंसल वर्ष 2008 में नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर तैनात हुआ था। वर्ष 2020 तक राकेश बंसल नगर निगम में नगरायुक्त के वैयक्तिक सहायक के पद पर आसीन रहे। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी का कहना है कि राकेश बंसल पांच हजार रुपये महीने पर तैनात हुए थे, लेकिन लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद वर्तमान नगरायुक्त निखिल टीकाराम फुंदे ने उन्हें पद से हटा दिया।
उन्होंने बताया कि राकेश बंसल पर 238 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप है। उन्होंने बताया कि राकेश बंसल और उसकी पत्नी रिचा बंसल, मां सुशीला बंसल, भाई उमेश बंसल के नाम पर दर्जनों प्रॉपर्टीज हैं। राकेश बंसल ने आगरा में कई क्षेत्रों में करोड़ों की भूमि खरीद रखी हैं।
हर क्षेत्र में सेट था कमीशन!
सपोर्ट इंडिया के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने बताया कि राकेश बंसल सिकंदरा के राधा नगर कॉलोनी में रहते हैं। उनके पिता सुरेश बंसल चाट की ठेल लगाते थे। किसी तरह नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर नौकरी पा ली। इसके बाद अधिकारियों के कृपा पात्र बन गए। पार्किंग और विज्ञापन के ठेके अपने चहेतों को दिलवाए। इसके एवज में कमीशन सेट कर लिया। इस दौरान राकेश बंसल ने करोड़ों रुपये कमाए। यही नहीं उसने होटलों और रेस्टोरंट संचालकों से भी अवैध वसूली की।
आरोप है कि न्यू चिनार इलेक्ट्रोस्टेट नाम से फर्म भी रजिस्टर्ड है, जिसके कई डायरेक्टर हैं। इस फर्म में अवैध रूप से भुगतान कराया गया। गड़बड़ियों की शिकायतें मिलने पर राकेश बंसल को कई बार हटाया भी गया है, लेकिन अपनी सेटिंग से वह फिर वापस हो जाता था।
क्या कहते हैं राकेश बंसल
वहीं, इस मामले में राकेश बंसल का कहना है कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है। कुछ लोगों का एक कॉकस है, जोकि उन्हें भ्रष्टचार के मामले में फंसाना चाहता है। मेरे खिलाफ जो शिकायतें की गई हैं, वे जांच में पूरी हो चुकी है। सभी आरोप निराधार हैं। वह सिकंदरा की एक कालोनी में रहते हैं, जहां सिर्फ 55 मकान बने हुए हैं। मेरे नाम से कोई संपत्ति नहीं खरीदी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम के कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई हैं।
वहीं, लोग मेरे खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं, जबकि राजस्व विभाग में तैनात एक कर्मचारी पर आय से अधिक संपत्ति का मामला विजिलेंस ने दर्ज करवाया है। ऐसे ही लोग नगर निगम को बदनाम कर रहे हैं।
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