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Ghaziabad News: बायर्स और बिल्डर के बीच संतुलन बैठा पाने में बौना साबित हो रहा यूपीरेरा, उपयोगिता को लेकर उठ रहे सवाल

गाजियाबाद : बायर्स और बिल्डर के विवाद को खत्म करने के लिए यूपीरेरा को अमल में लाया गया। समय बीतने के साथ अब इसकी उपयोगिता को लेकर बायर्स ही सवाल खड़ा करने लगे हैं। बायर्स का आरोप है कि यूपीरेरा की तरफ से बिल्डर के खिलाफ आरसी (रिकवरी नोटिस) जारी की जती है लेकिन इस आरसी को जिला प्रशासन की तरफ से ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, फिर बायर्स कभी रेरा ऑफिस तो कभी जिला प्रशासन के अधिकारियों के पास चक्कर लगाते रहते हैं। बायर्स के आरोप के बाद जब यूपीरेरा की ओर से जारी आंकड़ों की पड़ताल में सामने आया कि आरसी जारी होने के बाद सिर्फ 10 फीसदी की ही रिकवरी हो पाती है।

यूपीरेरा की ओर से अभी तक 3161 आरसी जारी की जा चुकी है। इसमें 1849 आरसी नोएडा के बिल्डरों को ही जारी हुई है। 426 आरसी गाजियाबाद तथा 739 आरसी लखनऊ के बिल्डरों को जारी हुई है। इसके अलावा 147 आरसी प्रदेश के दूसरे जिलों के बिल्डरों को जारी गई है। रिकवरी के नाम पर केवल 10 फीसदी की ही वसूली हो पाई है। गाजियाबाद में कुल 426 आरसी में से 30 में पूरी तथा 97 में आंशिक वसूली की गई। यहां भी 299 मामलों में एक रुपये की भी वसूली नहीं हो पाई है। नोएडा के मामले में भी यही हाल है। लखनऊ, गाजियाबाद और नोएडा से कुल 881 करोड़ रुपये की रिकवरी होनी है लेकिन अभी तक करीब 90 करोड़ रुपये की रिकवरी हो सकी है।

हाई कोर्ट जाने को लेकर मजबूर है बायर्स
यूपीरेरा की आरसी जारी होने के बाद जिला प्रशासन की तरफ से रिकवरी नहीं करवाए जाने से सबसे ज्यादा बायर्स परेशान हैं। कई बार कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन भी दे चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं मिल सका। रेड एप्पल रेजिडेंसी के 500 की संख्या में बायर्स फंसे हैं। अधिकांश की आरसी जारी हो चुकी है लेकिन रिफंड के लिए लोग भटक रहे हैं। कई बायर्स हाई कोर्ट से भी आदेश ला चुके हैं। इसके बाद भी अभी तक किसी को पैसा जिला प्रशासन नहीं दिलवा सका।

अंतरिक्ष के बायर्स भी परेशान
अंतरिक्ष संस्कृति परियोजना के बेघर खरीदारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यूपी रेरा ने 50 से अधिक वसूली प्रमाण पत्र जारी किए। इस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई, सभी पत्र डीएम-तहसीलदार कार्यालयों में धूल फांक रहे हैं। बायर्स का आरोप है कि डीएम और तहसीलदार कार्यालयों द्वारा वसूली प्रमाण पत्रों को उनके तार्किक निष्कर्ष (अनुपालन) तक ले जाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। यूपी-रेरा द्वारा जारी वसूली बिल्डर का अनुपालन ना होने से अंतरिक्ष संस्कृति के 12 से ज्यादा आवंटी थक हारकर अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर हो चुके हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय संबंधित आरसी राशि की वसूली सुनिश्चित करने के लिए डीएम गाजियाबाद को कई माह पूर्व आदेश जारी कर चुका है लेकिन नतीजा शून्य है।

दिल्ली के बदरपुर एरिया के रहने वाले अशोक झा ने बताया कि अक्टूबर 2011 में अंतरिक्ष सोसायटी में फ्लैट बुक करवाया। अभी तक 32 लाख रुपये दे चुके हैं। फ्लैट नहीं मिलने पर रेरा ने मार्च 2021 में आरसी जारी की। डीएम को 2 बार रिमांइडर भी आ चुका है। हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 में आरसी के वसूली का आदेश दिया लेकिन अभी तक केवल तीन लाख रुपये ही मिल सका।

ग्रेटर नोएडा निवासी प्रवेशचंद शर्मा ने भी अंतरिक्ष सोसायटी में फ्लैट बुक करवाया था। साल 2011 में 30 लाख रुपये से अधिक जमा कर दिए थे। तीन साल में पजेशन मिलना था। अभी तक न पैसा मिला, न फ्लैट। यूपीरेरा ने मार्च 2021 में आरसी जारी की। जब पैसा नहीं मिला तो हाई कोर्ट गए। जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने आरसी की वसूली करवाने को डीएम को आदेश दिया लेकिन हालात जस के तस हैं।

वहीं इस मामले पर यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार का कहना है कि कोरोना की वजह से आरसी की रिकवरी कम हुई। अब धीरे-धीरे करके बढ़ने की पूरी संभावना है। रेरा की तरफ से लगातार जिला प्रशासन को वसूली को तेज किए जाने का निर्देश दिए जा रहे हैं। साथ ही हम समीक्षा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में अच्छे रिजल्ट आने की संभावना है।