इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 202 के तहत यदि कोई आरोपी मजिस्ट्रेट के क्षेत्राधिकार से बाहर रहता है, तो मजिस्ट्रेट को स्वयं या धारा 204 सीआरपीसी के तहत प्रक्रिया आगे बढ़ाने से पहले जांच का निर्देश देना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने गीता व चार अन्य के मामले की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 202 के तहत मजिस्ट्रेट के लिए यह अनिवार्य है कि वह उन मामलों में समन जारी करने से पहले जांच करे जहां आरोपी उसके क्षेत्राधिकार से बाहर रहता है।
मामले में याची नेगजियाबाद जिले केकोतवाली थाने में अपने ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया कि उन्होंने उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया और शादी के लगभग सात महीने बाद उसे उसके माता-पिता के घर वापस भेज दिया।
ससुराल वालों को उसे वापस बुलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इस पर उसने शिकायत दर्ज कराई गई। मामले में विपक्षी पक्ष को सिविल न्यायाधीश गाजियाबाद द्वारा 15 सितंबर 2021 को तलब किया गया।
More Stories
Lucknow की ‘लेडी डॉन’ ने आईएएस की पत्नी बनकर महिलाओं से ठगी की, 1.5 करोड़ रुपये हड़पे
पार्वती, कालीसिंध और चंबल परियोजना में मप्र में 22 बांधा, एमपी के 13 सौंदर्य को मिलेगा फायदा
झारखंड में भाजपा ने 30 बागी प्रत्याशियों को पार्टी से निकाला