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Ranchi/Simdega: झारखंड सरकार द्वारा भाषा विवाद के बाद नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है. इसमें सिमडेगा जिला में क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू को भी रखा गया है. भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण बड़ाइक ने सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है. रविवार को उन्होंने कहा कि सरकार जन भावनाओं का अनादर कर रही है. सिमडेगा जिले में उर्दू बोली ही नहीं जाती है. वोट बैंक के तुष्टीकरण की खातिर सरकार अनाप-शनाप फैसले ले रही है. भाजपा इसका विरोध करती है. पूर्व मंत्री विमला प्रधान ने सिमडेगा में उर्दू को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किए जाने पर कहा कि सरकार निर्णय लेने में अक्षम हो गई है. ब्यूरोक्रेसी इस सरकार को नचा रही है. स्टूडेंट रोजगार को लेकर आंदोलनरत है. वहीं आदिवासी मूलवासी भाषा को लेकर सड़क पर हैं.
मुस्लिम बोलते हैं हिन्दी और नागपुरी
विमला प्रधान के मुताबिक सिमडेगा जिला में रहने वाले मुस्लिम धर्मावलंबी भी उर्दू की बजाये हिंदी एवं नागपुरी भाषा का उपयोग करते हैं. पर सरकार ने बिना कोई नीति निर्धारण किए गलत फैसला लिया है. वैसे जिलों में भी उर्दू को क्षेत्रीय भाषा बना दिया गया है जहां पर इसे बोला ही नहीं जाता. सिमडेगा जिले में खड़िया समाज की आबादी है. उर्दू की जगह क्षेत्रीय भाषा की सूची में खड़िया भाषा को जोड़ा जाना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती है.
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सांसद प्रतिनिधि सुशील श्रीवास्तव के मुताबिक इस सरकार के पास विकास का न विजन है, न रोजगार देने की क्षमता. इसीलिए आए दिन विवादास्पद निर्णय जनता पर थोप देती है ताकि लोग एक दूसरे से लड़ते रहें और विकास और रोजगार की दिशा में सोचें ही नहीं. इस सरकार की न ही नियत ठीक है और ना ही नीति.
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