मध्य प्रदेश के मठ और मंदिरों में मठाधीशों और पंडितों की नियुक्ति के लिए कमलनाथ सरकार ने नए नियम बनाए हैं. सरकार का दावा है कि इससे मंदिरों और मठों की बेहतरी के लिए काम आसानी से हो सकेंगे. सरकार जल्द ही नई नियमावली प्रदेश के मठ और मंदिरों पर लागू करने की तैयारी में है.
इस संबंध में प्रदेश के धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने ‘आज तक’ से बात करते हुए कहा कि नियम भले ही पहले से बने हों, लेकिन उनको और मजबूत करते हुए पहली बार ऑन पेपर लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो पुजारी होंगे, उन्हें हर हाल में इन नियमों का अनुपालन करना होगाय. शर्मा ने इसका विरोध कर रही विपक्षी भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी हमेशा धर्म की राजनीति करती है जबकि कमलनाथ सरकार धर्म पर चलती है.
क्या होंगे नियम
नई नियमावली के अनुसार अब मठों और मंदिरों में मठाधीश और पुजारी बनने के लिए उम्मीदवार को वेदों और पुराणों का ज्ञान होना चाहिए. इसके अलावा उसे कम से कम कक्षा आठवीं तक पढ़ा-लिखा होना चाहिए. नियमावली के मुताबिक उसे पूर्ण रूप से शुद्ध शाकाहारी होने के साथ ही यह भी साबित करना होगा कि उसका पूर्व में कोई अपराधिक इतिहास नहीं है. वहीं इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वह किसी प्रकार का नशा न करता हो. इसके अलावा उम्मीदवार का चरित्रवान होना और सनातन धर्म की परंपराओं और रीति-रिवाजों का ज्ञान होना भी आवश्यक होगा, जिसे बकायदा धर्मगुरु परखेंगे.
बीजेपी ने किया विरोध
मठों और मंदिरों के लिए नई नियमावली का विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विरोध किया है. बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि कांग्रेस सरकार हिंदुओं के मठ- मंदिर, देव स्थानों सु जुड़े विषयों पर हस्तक्षेप करने का दुस्साहस न करें. जो पूजा पद्धति, आस्था और परंपरा है उसे यथावत कायम रखें. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए धार्मिक और संत परंपरा से खिलवाड़ कत्तई स्वीकार नहीं किया जाएगा.
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