मेरठ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जीत के लिए सभी सियासी दल 2012 या 2017 के चुनाव में जिन सीटों पर दूसरे नंबर पर रहकर बहुत कम अंतर से हारे थे, ऐसी सीटों पर अव्वल बनने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने फोकस किया है। इन सीटों को जीतने के लिए खास रणनीति के साथ उतरे हैं। जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। अपने दिग्गजों और संगठन के पदाधिकारियों को इन सीटों पर जीत का जिम्मा सौंपा है।
बीजेपी का 78 सीटों पर खास मिशन विजय
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में 312 सीट जीती थी, अभी भी उनके मन में 78 ऐसी सीटें हारने की कसक है। जहां सपा या दूसरी पार्टियों का असर ज्यादा है। खासकर अल्पसंख्यक समुदाय जहां निर्णायक स्थिति में है, इसलिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत कई बड़े चेहरों को इन सीटों पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है। संगठन के लोग भी इन सीटों पर रात्रि प्रवास कर रहे हैं। घर-घर संपर्क कर रहे हैं।
प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा चुकी है। इन सीटों पर सदस्यता अभियान पर भी खास जोर दिया था। हालांकि फिर भी इन सीटों पर बीजेपी के कमल खिलाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। रिकॉर्ड के मुताबिक इन सीटों में वेस्ट यूपी के सहारनपुर, कैराना, नगीना, संभल, मेरठ शहर पर सपा और धौलाना पर बसपा जीती थी।
इन सीटों पर भी नजर
मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर सीट पर पिछली बार कड़ा मुकाबला हुआ था। बीजेपी के अवतार सिंह भड़ाना सपा से 193 वोटों से ही जीत सकी थी। मथुरा जिले की मांट सीट पर कड़ा मुकाबला हुआ था। बसपा के श्यामसुंदर जीते थे। रालोद योगेश चौधरी हार गए थे, लेकिन जीत का अंतर सिर्फ 432 वोटों का था। सहारनपुर की रामपुर मनिहारान सीट पर भी बीजपी के देवेंद्र कुमार नीम ने बसपा के रविंद्र कुमार मोलू को सिर्फ 595 वोटों से हराया था।
बसपा का इन सीटों पर फोकस
बहुजन समाज पार्टी इस बार 204 सीट पर खास ध्यान दे रही है। खासकर 2017 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही 118 सीटें और 86 रिजर्व सीट पर फोकस है। बसपा ने रणनीति के तहत 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा जिन सीटों पर नंबर दो पर रही वहां पर जातीय, क्षेत्रीय, समीकरणों के आधार पर उम्मीदवार उतारे हैं। इन उम्मीदवारों को जिताने के लिए मंडलिया, जिला, सेक्टर प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 2017 में बसपा जिन सीटों पर दो नंबर पर रही उनमें सहारनपुर, देवबंद, रामपुर मनिहारान, थाना भवन, चांदपुर, चमराआ, अमरोहा, हसनपुर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण, बागपत, लोनी, मुरादनगर, गाजियाबाद, मोदीनगर, गढ़मुक्तेश्वर, दादरी, जेवर, स्याना, सिकंदराबाद, बुलंदशहर, अनूपशहर, शिकारपुर, खुर्जा, खेर, गोवर्धन, बरौली, इगलास, हाथरस, सिकंदराराव, एत्मादपुर, आगरा कैंट, आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, खैरागढ़, बाह, टूंडला, सहसवान, बिल्सी, दातागंज, बहेड़ी आदि शामिल है।
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कांग्रेस चाहे हाथ की पकड़ मजबूत
उत्तर प्रदेश में चुनावी दंगल में कमजोर आंकी जा रही कांग्रेस वैसे तो हर विधानसभा क्षेत्र पर अपने कैंडिडेट उतारने की तैयारी में है, लेकिन उसकी कोशिश है कि वह इस बार अपना जनाधार बढ़ाए। उसका फोकस 59 विधानसभा क्षेत्र पर है। उसके लिए खास रणनीति बनाई है। दरअसल 2012 के चुनाव में कांग्रेस पहले या दूसरे नंबर पर जिन सीटों पर रही थी, उनमें 28 कांग्रेस ने जीती और 31 स्थानों पर दूसरे स्थान पर रही थी।
कई क्षेत्र में तो उनके प्रत्याशी बहुत कम अंतर से हारे थे। इस परिणाम के आधार पर कांग्रेस ने इन सीटों को बहुत पहले ही काम शुरू कर दिया है। अनुभवी कार्यकर्ताओं को मैदान में उतरकर ट्रेनिंग कैंप लगाए हैं। जैसे वेस्ट यूपी की सहारनपुर में दो एमएलए जिताकर सहारनपुर नगर सीट पर कांग्रेस मुख्य लड़ाई में थी रामपुर मनिहारान में भी टक्कर में रही। हालांकि दोनों जगह बीएसपी दूसरे नंबर पर थी, लेकिन कांग्रेस कड़े मुकाबले में रही थी। जेवर और दूसरी कई सीटों पर भी कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी।
सपा भी चौकन्नी, 23 सीटों पर खास नजर
समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में अपने कांटे की टक्कर वाली सीटों पर और ध्यान दे रही है सपा का मानना है कि अगर वह अपनी दो नंबर पर 2017 में रहे सीटों पर फतह हासिल कर लेती है तो सरकार बनाने में आसानी होगी इसी के साथ 2017 में जी टी 48 में से 23 सीट का मंत्र से सपा जीत पाई थी सभा को चिंता है कि इन सीटों पर के उलट फेर ना हो जाए इसलिए सभा का पूरा जोर इन सीटों को बचाने का है इनमें वेस्ट यूपी की सहारनपुर नगर नजीबाबाद नगीना मैनपुरी कन्नौज आदि है।
यूपी चुनाव 2022
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