हाइलाइट्सदलबदल के बाद भी नेताओं को नहीं मिला टिकटइमरान मसूद और मसूद अख्तर के नाम पर भी चर्चाकई पूर्व सांसद भी टिकट की उम्मीद मेंमेरठ: पांच राज्यों के चुनावी रण में यूपी खासकर वेस्ट यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक तरह से सियासी संग्राम मचा हुआ हैं। पहले और दूसरे फेज के चुनाव में सुरक्षित सियासी ठिकाने हासिल करने के लिए कई दिलों के सियासतदानों ने अपने दल बदले, लेकिन ज्यादातर के नए दलों में दिल नहीं मिल सके। वह अपने ही दांव से चित हो गए। पुराने दलों को तो छोड़ दिया और नए में टिकट नहीं मिल सका। जिसके बाद कई सियासी सूरमा चुनावी रण से बाहर हो गए हैं। इतना ही नहीं वेस्ट यूपी में आबादी के लिहाज से हर चुनाव में मुख्यधारा में रहने वाले कई चर्चित और नामवर मुस्लिम चेहरे भी चुनावी तस्वीर से बाहर हैं।
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किसी को मिला टिकट कोई इंतजार में
मेरठ में चुनाव की घोषणा से पूर्व बीजेपी छोड़कर पूर्व विधायक विनोद हरित रालोद में, पूर्व एमएलसी हरपाल सैनी भी बीजेपी छोड़कर सपा में, सपा व्यापार सभा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गोपाल अग्रवाल बीजेपी में शामिल हुए। लेकिन ये नेता नए दलों से टिकट हासिल नहीं कर सके। पूर्व विधायक योगेश वर्मा नए दल सपा से हस्तिनापुर से, रिहानुद्दीन कांग्रेस से सरधना से, मुखिया गुर्जर सपा से अमरोहा के हसनपुर से, पूर्व विधायक चंद्रवीर की बेटी सपा से मेरठ कैंट से जरूर टिकट हासिल कर पाए। बुलंदशहर जिले के पूर्व विधायक गजेंद्र सिंह बसपा छोड़कर रालोद में गए लेकिन टिकट नहीं मिला।
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बाद में कांग्रेस ने अनूपशहर से कैंडिडेट बनाया। बुलंदशहर के डिबाई के पूर्व विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और उनके भाई शिकारपुर के पूर्व विधायक मुकेश शर्मा सपा में शामिल हुए लेकिन टिकट नहीं मिला। आजाद समाज पार्टी से रालोद में शिकारपुर के पूर्व विधायक वासुदेव सिंह बाबा और भाजपा छोड़कर सपा में आए होशियार सिंह भी कैंडिडेट नहीं बन सके। बसपा छोड़कर रालोद में आए पूर्व ब्लॉक प्रमुख हाजी यूनुस और भाजपा छोड़ रालोद में आए पूर्व मंत्री किरण पाल सिंह को जरूर टिकट मिल सका।
पूर्व सांसद भी इंतजार में
मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, पूर्व सांसद राजपाल सैनी सपा में शामिल हुए। कादिर राणा या उनके परिजनों को टिकट नहीं मिला। पूर्व विधायक नूर सलीम राणा भी रालोद में शामिल हुए लेकिन टिकट नहीं मिला। पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के पुर् विधायक पुत्र पंकज मलिक और राजपाल सैनी को जरूर उनके नए दल सपा-रालोद गठबंधन और पूर्व मंत्री सईद उज्जमा के बेटे सलमान सईद को नए दल बीएसपी ने प्रत्याशी बनाया।
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इमरान मसूद और मसूद अख्तर पर संशय बरकरार
सहारनपुर में तो सियासी सूरमा फिसड्डी साबित हुए। इमरान मसूद कांग्रेस छोड़कर विधायक मसूद अख्तर संग सपा में गए, लेकिन दोनों को ही टिकट नहीं मिला। इमरान के भाई नोमान मसूद को जरूर आरएलडी छोड़ने पर बीएसपी ने टिकट दिया। विधायक नरेश सैनी ने कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में गए लेकिन अभी तक टिकट नहीं मिला। बिजनौर के पूर्व विधायक शेख सुलेमान उर्फ पप्पू बसपा छोड़कर सपा में, पूर्व सांसद यशवीर सिंह धोबी भाजपा छोड़कर सपा में, मुनिदेव शर्मा रालोद छोड़कर भाजपा में, पूर्व एमएलसी सुबोध पराशर बीएसपी से भाजपा में गए लेकिन टिकट नहीं मिला।
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हापुड़ में जरूर दलबदल वाले टिकट पाए गए
धौलाना के बीएसपी विधायक असलम चौधरी सपा में जाते ही टिकट हासिल किया। सपा से वासिद प्रधान बसपा में गए और टिकट मिला। पूर्व विधायक धर्मेश सपा छोड़कर भाजपा में गए, टिकट मिला। ऐसे ही हापुड़ सुरक्षित सीट से कांग्रेस छोड़कर रालोद में जाने वाले गजराज सिंह और गढ़ से सपा से बीएसपी में जाने वाले मदन चौहान टिकट हासिल मिल गया। इसी तरह दोनों सियासी बाई करतार सिंह भड़ाना और अवतार सिंह भड़ाना सपा आरएलडी गठबंधन में आकर टिकट पा गए। करतार खतौली से और अवतार भड़ाना जेवर से चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह काफी नाम वेस्ट यूपी में ऐसे है जो दल बदलकर भी टिकट लेकर चुनाव लड़ने की इच्छा पूरी नहीं कर सके। कुछ ऐसे चेहरे भी है जो चंद घंटों में दूसरे दलों में जाकर टिकट हासिल लिए।
यूपी चुनाव की तारीख
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