चुनाव आयोग 22 जनवरी के बाद क्या रैलियों से प्रतिबंद्ध हटाने जा रहा है.यह सवाल क्या आम, क्या खास सबके जहन में कौंध रहा है. नेता तो बिना रैली के ‘जल बिन मछली’ की तरह तड़प रहे हैं. अभी तक चुनाव आयोग ने रैलियों के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए तीन सौ लोगों की सीमा तय कर रखी है,लेकिन जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी 22 जनवरी के बाद अपने दिग्गज नेताओं की रैली का कार्यक्रम बना रही है,उससे संकेत मिल रहा है कि रैलियों से प्रतिबंद्ध इस लिए भी हट सकता है क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक होता नहीं दिख रहा है,इसके अलावा अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि तीसरी लहर पीक पर पहुंच चुकी है और अब मामले घटने लगे हैं. कोरोना की स्थिति में सुधार के चलते रैलियों पर प्रतिबंद्ध खत्म की सुगबुगाहट के बीच भारतीय जनता पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीनी स्थिति मजबूत करने के लिए जल्द ही वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक बड़ी रैली कराने की तैयारी में जुट गया है. कोविड प्रोटोकाल 23 जनवरी को हटा तो भाजपा दिग्गजों के जमावड़े से नया चुनावी माहौल बनाएगी। कोविड प्रोटोकाल से पहले दो जनवरी को पीएम नरेन्द्र मोदी की रैली सरधना में हुई थी, जिसमें सिर्फ मेरठ, मुजफ्फरनगर के ही चेहरे थे। 2017 विस चुनाव से पहले शताब्दीनगर में, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मेरठ में पश्चिम उप्र को साधने के लिए नरेन्द्र मोदी की बड़ी रैली की गई थी। भाजपा की दृष्टि से पश्चिम क्षेत्र में 14 जिलों की 114 विस सीटों को शामिल किया जाता है। मोदी की पश्चिम यूपी में रैली होती है तो यहां की राजनीतिक हालात और बीजेपी का चुनावी समीकरण काफी सुधर सकता है। वैसे भी पश्चिमी यूपी को राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता है। 2014 में यहां भाजपा ने हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया था तो मुजफ्फरनगर दंगों को भी अखिलेश सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाया था. दरअसल, भाजपा रैलियों के लिए इस लिए भी परेशान है क्योंकि उसके पास स्टार प्रचारकों की लम्बी चौड़ी टीम है।गौरतलब हो पश्चिमी यूपी में पहले दो चरणों में मतदान होना है.दस फरवरी को मेरठ समेत पश्चिम की 58 सीटों पर चुनाव होगा। इन सभी 58 सीटों मे नौ सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. प्रथम चरण में कैराना, थानाभवन, शामली, बुढ़ाना, चरथावल, पुरकाजी(अ.जा.), मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर (अ.जा.), किठौर, मेरठ कैंटोनमेंट, मेरठ, मेरठ दक्षिण, छपरौली, बड़ौत, बागपत, लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदीनगर, धौलाना, हापुड़ (अ.जा), गढ़मुक्तेश्वर, नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, स्याना, अनूपशहर, डिबाई, शिकारपुर, खुर्जा(अ.जा), खैर (अ.जा), बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़, इगलास(अ.जा), छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव (अ.जा), एत्मादपुर, आगरा कैंटोनमेंट (अ.जा), आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, आगरा ग्रामीण (अ.जा), फतेहपुर सीकरी, खैरागढ़, फतेहाबाद, बाह सीटों पर चुनाव होगा. उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को होगा.दूसरे फेज में 9 जिलों की 56 सीटों पर मतदान होगा. दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बदायूं, बरेली, शाहजहांपुर में संपन्न होगा. इस दौरान 56 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी. दूसरे चरण में बेहत, नाकुर, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर, मनीहारन (, गंगोह, नजीबाबाद, नगीना , बरहापुर, धामपुर, नेहतौर, बिजनौर, चांदपुर, नूरपुर, कांत, ठाकुरवाड़ा, मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, कुंडार्की, बिल्लारी, चंदौसी, अस्मौली, संभल, सौर, चमरौआ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक , धनौरा, नौगांव सदात, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिल्सी, बदायूं, शेखुपुर, डाटागंज, बाहेरी, मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, फरीदपुर , बिठारी चौनपुर, बरेली, बरेली कैंट, अनोला, कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पोवायन , शाहजहांपुर, ददरौल सीटों पर मतदान किया जाएगा. उत्तर प्रदेश का चुनावी शंखनाद पश्चिम से होगा,जहां इस बार बीजेपी की मुश्किल इस लिए बढ़ी हुई हैं.किसान आंदोलन के साथ ही किसानों के ज्यादातर भावनात्मक मुद्दे यहीं से तय होते हैं। मुजफ्फरनगर दंगों और कैराना पलायन पर भाजपा लगातार अखिलेश सरकार पर हमलावर है। पश्चिम में औद्योगिक गतिविधियां तेज करने के साथ ही भाजपा सरकार ने सड़कों का नेटवर्क खड़ा करने का प्रयास किया है। प्रदेश का पहला खेल विवि मेरठ में बन रहा है। पिछले दिनों सीएम योगी ने यहां ओलंपिक खिलाडिय़ों को सम्मानित किया था। सहारनपुर में मां शाकुम्भरी देवी विवि बनाने के राजनीतिक मायने भी हैं। देवबंद में एटीएस कमांडो ट्रेनिंग सेंटर एवं कैराना के पास पीएसी ट्रेनिंग कैंप बनाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से पश्चिमी यूपी में मुस्लिम कार्ड खेला है,उससे भी बीजेपी को यहां हिन्दुत्व पर खुलकर बोलने का मौका दे दिया है, यहां जो हालात बन रहे हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यहां पहले दो चरणों के चुनाव में हिन्दू-मुस्किल वोटरों के बीच जबर्दस्त धु्रवीकरण देखने को मिल सकता है.
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