कौशांबी
उत्तर प्रदेश के कौशांबी के सिराथू विधानसभा सीट से डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के चुनाव लड़ने का ऐलान होने के साथ अब यह हॉट सीट हो गई है। सिराथू विधानसभा वैसे तो ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगर मना जाता है। बावजूद इसके चुनाव में उम्मीदवार के जीत का भविष्य दलित एवं पिछड़े वर्ग के मतदाता तय करते हैं। इस सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां अनुसूचित जाति वर्ग के 45 फीसदी मतदाता सर्वाधिक हैं। दूसरे नंबर पर पिछड़े वर्ग के 24 फीसदी मतदाता हैं। फिर इसके बाद सभी वर्ग के मिश्रित 32 फीसदी मतदाता हैं। सिराथू सीट पर हार जीत का फैसला अनुसूचित वर्ग के मतदाताओं के हाथ में रहता है।
पहली बार सिराथू सीट से केशव प्रसाद मौर्य ने की थी जीत दर्ज
कौशांबी के सिराथू सीट पर मौजूदा समय में 3 लाख 65 हज़ार 153 कुल मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 1 लाख 95 हज़ार 660 और महिला मतदाता 1 लाख 69 हज़ार 492 हैं। सिराथू विधानसभा सीट पर 2012 में डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पहली बार बीजेपी से विधायक बने थे। सिराथू विधानसभा सीट पर हमेशा सपा और बसपा का कब्जा रहता था। दोनों पार्टियों के दबदबे के बीच में केशव प्रसाद मौर्य ने इस सीट पर पहली बार कमल खिलाया था।
वहीं, 2014 के उप चुनाव में यह सीट सपा के खाते में चली गई। 2017 में इस सीट से भाजपा विधायक शीतला प्रसाद ने जीत दर्ज की। 2017 विधानसभा चुनाव में सिराथू विधानसभा सीट पर कुल 17 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला सपा-भाजपा व बसपा के बीच रहा। इस सीट पर 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शीतला प्रसाद को सबसे ज्यादा 78621 वोट मिले। दूसरे स्थान पर सपा प्रत्याशी वाचस्पति को 52418 वोट मिले। वहीं, तीसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी सईदुल रब 42782 वोट मिले थे। 2017 में सिराथू के कुल 40.07% वोट पड़े थे। जिसमें 196186 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था।
दलित और पिछड़े मतदाता दिलाएंगे जीत
सिराथू सीट पर हमेशा से दलित वोटर ही निर्णायक साबित होता आया है। इसके बाद पिछड़े वर्ग के मतदाता दलितों के साथ मिलकर यूपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के लिए जीत का सेहरा पहना सकते हैं। भाजपा ने इसके लिए बूथ स्तर पर तैयारी कर रखी है। स्थानीय लोगों ने केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव मैदान में सिराथू से आते ही जश्न मना ख़ुशी जताई। लोगों का कहना है कि डेप्युटी सीएम ने सिराथू ही नहीं पूरे कौशांबी को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) का ऐलान चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को किया। 403 सीटों वाली 18वीं विधानसभा के लिए 10 फरवरी से 7 मार्च तक सात चरणों में वोट पड़ेंगे। 10 मार्च को चुनाव के नतीजे (UP Election results) आएंगे। यूपी में सात चरणों (Seven Phase) के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान (Voting) होगा।
10 फरवरी को पहले चरण (First Phase) में पश्चिम यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों पर, दूसरा चरण (Second Phase) 14 फरवरी को 9 जिलों की 55 सीटों पर, 20 फरवरी को तीसरे चरण (Third Phase) में 16 जिलों की 59 सीटों पर मतदान होगा। चौथे चरण (Fourth Phase) में मतदान 23 फरवरी को लखनऊ सहित 9 जिलों की 60 सीटों पर होगा। पांचवे चरण (Fifth Phase) में 27 फरवरी को 11 जिलों की 60 सीटों पर, छठे चरण में 3 मार्च को 10 जिलों की 57 सीटों पर और सातवें (Seventh Phase) और अंतिम चरण (Last Phase) का मतदान 7 मार्च को 9 जिलों की 54 सीटों पर किया जाएगा। 17वीं विधानसभा का कार्यकाल (UP Assembly ) 15 मई तक है।
17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे। उस चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन 54 सीटें जीत सका। इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती (Mayawati) की बीएसपी (Bahujan Samaj Party) 19 सीटों पर सिमट गई। इस बार सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भाजपा (Bharatiya Janata Party) के बीच माना जा रहा है। भाजपा योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ रही है।
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