रायुपर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्मार्टफोन की व्हाट्सएप कॉल रिकार्डिंग की जांच के लिए समिति बनाए जाने से राज्य में एक बार फिर सियासी उबाल आ गया है। भाजपा ने जहां इस फैसले को हास्यास्पद करार दिया है, वहीं कांग्रेस ने भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार पर लोगों की जासूसी कराने का आरोप लगाया है। पिछले दिनों इजरायल की पेगासस स्पाई वेयर द्वारा दुनिया के 1400 लोगों, जिसमें भारत के 40 और उसमें छत्तीसगढ़ के चार लोगों के, व्हाट्सएप कॉल हैक करने का मामला सामने आया था। इसके बाद से राज्य में हलचल है। इसे छत्तीसगढ़ सरकार ने गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में कुछ लोगों के स्मार्टफोन कॉल को अवैध रूप से टेप किए जाने की जानकारी को गंभीर मसला मानते हुए स्मार्टफोन टेप करने संबंधी शिकायतों को नागरिकों की स्वतंत्रता के हनन से जुड़ा सवाल बताया है।
उन्होंने इन शिकायतों की जांच के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। समिति के अन्य सदस्यों में पुलिस महानिरीक्षक रायपुर एवं संचालक जनसंपर्क होंगे। समिति संपूर्ण घटना की विस्तृत जांच कर एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। पुलिस महानिदेशक समिति को जांच के लिए सभी आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। व्हाट्सएप कॉल रिकार्डिंग की जांच के लिए समिति बनाने के ऐलान से राज्य की सियासत में एक बार फिर उबाल आ गया है। भाजपा जहां हमलावर है, वहीं कांग्रेस भाजपा को पूर्ववर्ती सरकार को लेकर घेर रही है।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा स्मार्टफोन कॉल को अवैध रूप से टेप कराने के मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने के निर्णय को हास्यास्पद कवायद करार दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल शायद सुप्रीम कोर्ट से फोन टैपिंग मामले में शासन को मिली फटकार के बाद अपना दामन बचाने के लिए ऊल जुलूल हरकत कर रहे हैं। ऐसी अनावश्यक कवायदों से सीएम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
कौशिक ने आगे कहा, “प्रदेश के विकास और जनकल्याण के लिए मिले जनादेश की अनदेखी कर तमाम गैरजरूरी मुद्दों में सीएम अपनी हाजिरी दे रहे हैं। यह तमाम कवायद सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के हास्यास्पद हथकंडे हैं।” कौशिक ने सवाल किया, “मुख्यमंत्री बघेल किस मुंह से नागरिक स्वतंत्रता के हनन पर क्षोभ जता रहे हैं? वस्तुत: मुख्यमंत्री बघेल को भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के नाम का फोबिया हो गया है। उन्हें एक तरह का अज्ञात राजनीतिक भय हमेशा सताता है और वे इसके चलते हर बात को भाजपा के कार्यकाल से जोड़कर पार्टी को बदनाम करने की कोशिशें करते हैं।”
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूर्ववर्ती रमन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकार रहती है उन राज्यों में अक्सर विपक्षी दल के नेताओं, मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, बड़े उद्योगपतियों, व्यापारियों की जासूसी कराने का काम भाजपा की सरकारें करती रही हैं। छत्तीसगढ़ में 15 साल तक रमन सिंह की सरकार सत्ता में रही है और इस दौरान भी इस प्रकार की घटनाएं निश्चित रूप से हुई हैं।”
त्रिवेदी का दावा है कि “विश्व स्तर पर इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए नामचीन लोगों की व्हाट्सएप की टेपिंग का मामला सामने आने के बाद इजरायली कंपनी के छत्तीसगढ़ में आकर बैठक करने की भी जानकारी प्रकाश में आई है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के नागरिकों की निजता पर गंभीर संकट उत्पन्न हुए होंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान इजरायली कंपनी के अधिकारी छत्तीसगढ़ आकर किससे मिले हैं? किसने उनको बुलाया था? और किन-किन व्हाट्स एप नंबरों की टेपिंग की गई है? इसकी जानकारी के लिए राज्य सरकार ने जांच समिति गठित की है।”
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्णय का स्वागत करते हुए निजता का हनन कर फोन टैपिंग मैसेज एवं व्हाट्स एप टाइपिंग के इस अवैधानिक कृत्य में शामिल व्यक्तियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि राज्य में डेढ़ दशक बाद हुए सत्ता बदलाव के बाद से सियासत में कई मुद्दों को लेकर गर्माहट बनी हुई है। पूर्व में अंत:गढ़ टेप कांड, उसके बाद नान घोटाला जैसे मामलों ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को एक-दूसरे पर हमले करने का भरपूर मौका दिया, वहीं अब व्हाट्सएप कॉल रिकार्डिंग की जांच से राज्य की सियासत में एक बार फिर उबाल लाने का काम किया है।
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