हाइलाइट्सअनुप्रिया पटेल एनडीए की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बनींमां कृष्णा पटेल को चुनाव में मिला अखिलेश का साथकुर्मी वोटों का बंटवारा बनेगा संकटमनीष सिंह मिर्जापुर
यूपी विधानसभा चुनाव (Uttar pradesh chunav 2022) का बिगुल कभी भी बज सकता है । चुनाव आयोग की तरफ से कभी भी तारीखों का एलान किया जा सकता है । ऐसे में यूपी की कुर्सी पर कब्जा जमाने के लिए समाजवादी पार्टी (samajwadi party) और बीजेपी (bjp) की तरफ से हर दांव को आजमाया जा रहा है । दोनों ही प्रमुख दलों की तरफ से जातिगत आधार पर छोटे छोटे क्षेत्रीय दलों से गठबंधन भी किया जा रहा है ।
ऐसे में कुर्मी वोट बैंक की राजनीति करने वाले डॉ. सोनेलाल पटेल का परिवार दो धड़ों में बट चुका है । सोनेलाल की पत्नी कृष्णा पटेल (krishna patel) की अपना दल कमेरावादी पार्टी एसपी के साथ तो सोनेलाल की बेटी अनुप्रिया पटेल (anupriya patel) की पार्टी अपना दल एस (apna dal s) एनडीए गठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कुर्मी वोट किस तरफ जाएगा। अगर वोटों का बंटवारा हुआ तो एनडीए का नुकसान होगा या अपनादल एस फिर से बाजी मारेगा। इन्ही सब सवालों का जबाब जानने की कोशिश कि एनबीटी ऑनलाइन ने।
डॉ. सोनेलाल पटेल ने 1995 में किया था पार्टी का गठन
दरअसल कुर्मी वोट बैंक की राजनीति करने वाले सोनेलाल पटेल ने 1995 में बसपा से अलग होकर अपना दल का गठन किया था। विंध्य क्षेत्र के आसपास जिलों में उनका कुर्मी वोटों पर अच्छा प्रभाव भी रहा। 2009 में उनकी मृत्यु के बाद मां कृष्णा पटेल अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गईं और पार्टी की कमान उनकी पत्नी कृष्णा पटेल के हाथ में आई। 2012 में वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से बेटी अनुप्रिया पटेल पहली बार विधायक बनीं।
2014 में हुआ अपना दल का एनडीए से गठबंधन
इसके बाद बीजेपी ने 2014 में उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर रणनीति बनाई और अपना दल से गठबंधन किया। इस चुनाव में अपना दल को प्रतापगढ़ और मिर्जापुर की लोकसभा सीटें मिलीं और दोनों पर ही पार्टी ने जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव में पार्टी की ये पहली जीत थी। इस जीत के साथ अनुप्रिया पटेल पहली बार सांसद बनीं और केंद्र में मंत्री भी बनाई गईं।
पार्टी में आशीष का बढ़ा कद ,2016 में नई पार्टी का हुआ गठन
इसके साथ ही अनुप्रिया के सामने पारिवारिक मोर्चा खड़ा हो गया। पार्टी में अनुप्रिया और उनके पति आाशीष कद बढ़ने पर मां कृष्णा पटेल ने अपनी छोटी बेटी पल्लवी पटेल को अपना दल का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद अनुप्रिया और मां कृष्णा पटेल के बीच तकरार इतनी बढ़ी कि पार्टी पर दावेदारी की जंग शुरू हो गई। आखिरकार अनुप्रिया ने 2016 में अपना दल (सोनेलाल) नाम से अलग पार्टी बनाई।
अपना दल (एस ) और बीजेपी मिलकर लड़ चुकी है तीन चुनाव
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अपना दल एस ने गठबंधन में मिली 11 सीटों में 9 सीट पर जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया की पार्टी ने मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज सीट पर जीत दर्ज की और मिर्जापुर सीट से खुद अनुप्रिया दोबारा सांसद चुनी गई। फिलहाल वह वर्तमान में केंद्रीय राज्यमंत्री भी है ।
पूर्वी यूपी की कई सीटें है कुर्मी बाहुल्य
जनाधार की बात करें तो अपना दल का पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित प्रतापगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर, रॉबट़र्सगंज , फतेहपुर ,उन्नाव, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोंडा आदि जिलों में अच्छा प्रभाव है। सोनेलाल कुर्मी समुदाय के बड़े नेता माने जाते रहे और अब अनुप्रिया पटेल भी उन्हीं की तरह बड़ी नेता बन चुकी हैं।
2017 के चुनाव में कृष्णा पटेल की पार्टी को नहीं मिली थी सफलता
दूसरी तरफ कृष्णा पटेल की अपना दल को कांग्रेस गठबंधन में पीलीभीत और गोंडा की दो सीटें मिलीं। हालांकि कृष्णा पटेल की अपना दल अभी तक चुनावों में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है।
मां की पार्टी अखिलेश के साथ तो बेटी की पार्टी मोदी, योगी के साथ
इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव- 2022 की बात करें तो अनुप्रिया पटेल की अपना दल एस बीजेपी के साथ है। दूसरी तरफ कृष्णा पटेल की अपना दल कमेरावादी अखिलेश यादव के समाजवादी खेमे में खड़ी नजर आ रही है। फिलहाल चुनाव के समय प्रापर्टी विवाद के चलते परिवार में चल रहा विवाद सबके सामने है। दरअसल 27 अक्टूबर को डीजीपी को भेजे पत्र में अमन पटेल ने अपनी बड़ी बहन पल्लवी पटेल व उनके पति पर पिता की प्रॉपर्टी हड़पने का आरोप लगाया।
कृष्णा पटेल भी कर सकतीं है इन सीटों पर दावेदारी
जिन कुर्मी बाहुल्य यूपी की सीटों ( इलाहाबाद की सोरांव, सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़, फतेहपुर की जहानाबाद, वाराणसी की सेवापुरी, प्रतापगढ़ की विश्वनाथगंज जौनपुर की मडियाहूं और मिर्जापुर की छानबे सीट) पर अनुप्रिया ने 2017 के चुनाव में जीत हासिल की थी। उन्हीं सीटों पर कृष्णा पटेल भी दावेदारी कर सकती है ।
एनडीए को हो सकता है नुकसान
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो मां और बेटी के बीच कुर्मी वोटों का बंटवारा होगा तो ऐसे में एनडीए को नुकसान होना तय है। इस असर बीजेपी पर पड़ना तया है। क्योंकि इस बार कृष्णा की पार्टी अखिलेश के साथ है। वह सीधे बीजेपी को टक्कर देती नजर आ रही है। भले ही अनुप्रिया के नेतृत्व में उनकी पार्टी ने विस्तार किया हो, लेकिन मां कृष्णा के साथ आज भी कुर्मी समाज के पुराने लोग जुड़े नजर आते हैं।
anupriya patel
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