नीलेश सिंह, जौनपुर
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी राजनीति शुरू करने वाले छात्र नेता अभिषेक सिंह उर्फ सोनू जौनपुर जिले की जफराबाद सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। सोनू मूलतः केराकत की गुठौली गांव के निवासी हैं। जौनपुर जिले के जैसी चौराहे पर भी इनका निवास है। इनके पिता सरोज सिंह बैंक में सर्विस करते थे, जो अब सेवानिवृत्त हैं, इनके दादा आरपी सिंह जौनपुर के मशहूर चिकित्सक थे।
जीआईसी से इंटरमीडिएट करने के बाद अभिषेक सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) में बीए में दाखिला लिया और छात्र राजनीति में आ गए। छात्र संघ बहाली के लिए आंदोलन किया। 2012 में छात्र संघ की बहाली हुई और इसी साल छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में दावेदारी पेश की। छात्र संघ का चुनाव लड़ा, जिसमें अभिषेक सिंह को दिनेश यादव से हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव में धांधली के आरोप के चलते मामला हाई कोर्ट गया और हाई कोर्ट ने दिनेश यादव का नामांकन रद्द कर दिया है, जिसके बाद सेकंड रनरअप रहे अभिषेक सिंह विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने।
सन 2012 में अभिषेक सिंह उर्फ सोनू के ऊपर जानलेवा हमला हुआ। जिसका आरोप महामंत्री का चुनाव लड़ रहे इनके प्रतिद्वंदी अभिषेक सिंह माइकल के ऊपर लगा। 2014 में अभिषेक सिंह माइकल के ऊपर हमला किया गया। हमले का आरोप अभिषेक सिंह उर्फ सोनू के ऊपर लगा था। अंशु पाठक के ऊपर भी जानलेवा हमला हुआ था, जिसका आरोप भी अभिषेक सिंह उर्फ सोनू पर लगा था। जानलेवा हमले में सोनू को 4 साल की जेल हुई थी। 2018 में जौनपुर जेल से छूटने के बाद इनके साथ कई सौ गाड़ियों का काफिला इन्हें प्रयागराज लेकर पहुंचा तो फिर एक बार सोनू सबकी नजरों में आ गए।
शहीद लाल पद्मधर और चंद्रशेखर आजाद हैं आदर्श
अभिषेक सिंह सोनू ने बताया राजनीति में उनके आदर्श चंद्रशेखर आजाद और लाल पद्मधर जी हैं। उनके क्रांतिकारी विचारों से उन्हें प्रेरणा मिलती है।
युवाओं में टाइगर और बाहुबली के नाम से चर्चित अभिषेक सिंह उर्फ सोनू को बाहुबली और टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। सोनू ने बताया कि उनके क्रांतिकारी विचारों और हिम्मत और जन समर्थन के कारण लोग उन्हें टाइगर या बाहुबली कहते हैं, उसमें कोई आपराधिक दृष्टिकोण नहीं है।
दोस्ती के लिए लगाई जान की बाजी
कोरोना की पहली लहर के दौरान उनके मित्र स्वतंत्र सिंह को कोरोना हो गया, जिस समय लोग अपने परिवार को भी छूने से डर रहे थे, उस समय सोनू लगातार अपने दोस्त स्वतंत्र सिंह के लिए डेढ़ महीने अस्पताल में रहे और उनकी सेवा की। सोनू ने बताया कि उस दौरान जो भी अस्पताल में पेशेंट थे, सब की सेवा और सब की देखभाल की थी। जिसके कारण सोनू सूद ने भी टीवी चैनल पर अभिषेक सिंह उर्फ सोनू की प्रशंसा की थी और तमाम संस्थाओं द्वारा कोरोना वारियर्स के तौर पर सम्मान मिला है। युवाओं के लिए उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाना रहेगा मुद्दा।
अभिषेक सिंह सोनू ने बताया कि जफराबाद विधानसभा सीट पहली प्राथमिकता उनकी युवाओं की शिक्षा को लेकर रहेगी। साथ ही जफराबाद में आपसी मतभेद को भुलाकर पूरे जफराबाद को एक परिवार बनाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। अभिषेक सिंह सोनू ने बताया कि वह छात्र राजनीति से लेकर आज तक किसी भी दल के साथ नहीं जुड़े हैं। छात्र राजनीति भी निर्दल ही की है। जफराबाद विधानसभा चुनाव किस पार्टी से लड़ेंगे, इस पर उन्होंने खुलकर बात नहीं की, लेकिन उन्होंने कहा, फिलहाल निर्दल ही मैदान में उतरना पड़ा तो निर्दल ही चुनाव लड़ूंगा।
कुछ ऐसा रहा है जफराबाद का सियासी गणित
जफराबाद की सियासी गणित को देखें तो लगातार सपा, बसपा का राज रहा है। 25 वर्षों बाद इस सीट पर कमल खिला और 2017 में हरेंद्र सिंह यहां भाजपा से विधायक चुने गए। फिलहाल पिछड़े और दलित वोट भाजपा के साथ जुड़ने से भाजपा का जनाधार मजबूत होता दिख रहा है तो वहीं कुछ स्थानीय मुद्दे पर प्रभावित करते हुए दिखाई दे रहे हैं तो वहीं युवाओं का समर्थन भी चुनाव परिणाम बदल सकता है ।
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