छत्तीसगढ़ के रायपुर में इस सप्ताह के अंत में लगभग 20 धार्मिक नेताओं ने दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ में भाग लिया, जिसमें कुछ ने भाषण देते हुए “सनातनी हिंदुओं” को खुद को हथियार देने के लिए कहा और उनमें से एक ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे की भी प्रशंसा की। बाद में रविवार शाम को गांधी के खिलाफ बयान देने वाले ‘संत’ कालीचरण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ में प्रदेश व देश भर से 20 से अधिक धर्मगुरु एकत्रित हुए। भाषणों में, नेताओं ने “सनातन हिंदुओं” से खुद को हथियारबंद करने और हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए “तैयार” होने का आग्रह किया।
महाराष्ट्र के एक धार्मिक नेता ‘संत’ कालीचरण ने गांधी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया और अल्पसंख्यकों पर विभिन्न देशों की राजनीति और प्रशासन को नियंत्रित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
उनके बयान के बाद, संसद के संयोजक, दूधधारी मठ के प्रमुख महंत राम सुंदर दास ने कड़ा विरोध दर्ज किया और यह दावा करते हुए संसद से खुद को दूर कर लिया कि यह फलदायी नहीं था। रविवार की देर रात कालीचरण के खिलाफ आईपीसी की धारा 505(2) और 294 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
एनजीओ नीलकंठ सेवा समिति और दूधधारी मठ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे और भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल और विष्णु देव साई ने भाग लिया। स्वामी प्रभोदानंद गिरि, जिन्होंने पहले हरिद्वार में विवादास्पद ‘धर्म संसद’ में बयान दिया था, भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
उन्होंने कहा, ‘मैंने हरिद्वार में और उससे पहले भी जो कहा, उसे दोहराने में मुझे कोई गुरेज नहीं है। ये सभी धर्मनिरपेक्ष लोग हिंदू विरोधी हैं, जब कोई हिंदू धर्म के बारे में बात करता है तो भी उनका पेट दुखता है।” राज्य के एक धार्मिक नेता ‘संत’ त्रिवेणी दास, उन लोगों में से एक थे जिन्होंने सभी हिंदुओं को ‘हिंदू राष्ट्र’ की रक्षा के लिए खुद को हथियार देने के लिए कहा था।
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