कौशल किशोर त्रिपाठी, देवरिया
भारतीय वायुसेना के विमान क्रैश कांड में एकमात्र जीवित बचे विंग कमांडर वरुण प्रताप सिंह की भी बुधवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। शौर्य चक्र विजेता वरूण पिछले एक सप्ताह से बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे थे। इस घटना की सूचना मिलते ही उनके पैतृक गांव देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील के कन्हौली गांव में शोक पसर गया।
बता दें कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ विंग कमांडर वरुण प्रताप सिंह विमान में सवार थे और घटना के बाद गंभीर रूप से घायल थे। वरुण के परिवार के सभी लोग बेंगलुरु में ही हैं। उनके दरवाजे पर मित्रों और शुभचिंतकों का आना-जाना शुरू हो गया है।
बीते 8 सितंबर को क्रैश हुआ था वायुसेना का विमान
बीते 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कन्नूर में भारतीय वायुसेना के क्रैश हुए विमान में देवरिया जिले के कन्हौली गांव निवासी वरुण प्रताप सिंह भी सवार थे। इस हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 सैन्य अफसरों की मौत हो गई थी। जबकि विंग कमांडर वरुण प्रताप सिंह गंभीर रूप से घायल होकर जीवित बच गए थे। गंभीरावस्था में बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। बुधवार को इलाज के दौरान अस्पताल में ही वरुण की भी मौत हो गई। उनके निधन की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव कन्हौली में शोक पसर गया। जो जहां जिस हालत में था उसी हालत में भागकर उनके दरवाजे पर पहुंचा। वरुण के निधन के बाद कन्हौली गांव में स्थित इंटरमीडिएट कॉलेज में आकस्मिक अवकाश घोषित कर दिया गया।
फौज से ताल्लुक रखता है वरुण का पूरा परिवार
देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील क्षेत्र के कन्हौली गांव निवासी विंग कमांडर वरुण प्रताप सिंह का पूरा परिवार फौज से ताल्लुक रखता है। उनके पिता कृष्ण प्रताप सिंह सेना में कर्नल थे। रिटायर होने के बाद कृष्ण प्रताप सिंह मध्यप्रदेश के भोपाल में मकान बनवाकर सपरिवार रहते है। वरुण सिंह का छोटा भाई तरुण प्रताप सिंह नौसेना में तैनात है। वरुण प्रताप सिंह की तैनाती तमिलनाडु के वेलिंग्टन में थी। उनकी पत्नी वंदना सिंह, बेटा रिधिमान सिंह और बेटी आराध्या भी उनके साथ ही रहते थे। जबकि पिता कृष्ण प्रताप सिंह और उनकी माता उमा सिंह भोपाल में रहते हैं।
वरुण की सलामती के लिए पूजा पाठ में जुटे थे ग्रामीण
वरुण प्रताप सिंह के चाचा अखिलेश प्रताप सिंह कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हैं और देवरिया जिले की रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं। उनके दूसरे चाचा आरपी सिंह भी सेना में कर्नल हैं। जबकि तीसरे चाचा तेज प्रताप सिंह देवरिया में वकालत करते हैं। विमान हादसे के बाद उनकी सलामती के लिए कन्हौली गांव में पूजा पाठ और दुआओं का सिलसिला जारी था । लोग जगह-जगह पूजा-पाठ , अनुष्ठान और हवन का आयोजन कर वरुण के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना में जुटे थे
फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में खराबी के बावजूद कराई थी विमान की सफल लैंडिंग
12 अक्तूबर 2020 को वरुण लाइट कॉम्बेट एयर क्राफ्ट के साथ उड़ान पर थे। लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचते ही विमान का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम खराब हो गया। लेकिन वरुण ने साहस और धैर्य का परिचय देते हुए आबादी से दूर विमान की लैंडिंग कराई थी। इस वीरता के लिए उन्हें भारतीय सेना का सर्वोच्च पुरस्कार शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। वरुण फाइटर प्लेन पायलट थे। वह गोरखपुर में भी 2007 से 2009 तक तैनात रहे है। इस दौरान उन्होंने गोरखपुर में कई बार फाइटर प्लेन उड़ाया है।
बीते 15 अगस्त को शौर्य चक्र से सम्मानित हुए थे वरुण
बीते 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। यह अवार्ड विंग कमांडर को फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम खराब होने के बाद भी 10 हजार फीट की ऊंचाई से विमान की सफल लैंडिंग कराने पर दिया गया था। अपने अदम्य साहस और पराक्रम के दम पर सेना का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल कर उन्होंने देवरिया जिले का नाम रोशन किया था।
वरुण के चाचा एडवोकेट तेज प्रताप सिंह ने बताया कि परिवार के सभी लोग बेंगलुरु में ही हैं। वरुण की पत्नी की हालत भी काफी सीरियस है ।उनकी सहमति के मुताबिक ही वरुण के अंतिम संस्कार की कार्यवाही की जाएगी।
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