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Editorial: भ्रष्टाचार का गला दबा विकास का लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर रही योगी सरकार से विपक्ष को सीख लेने की जरूरत

08-dec-2021

 जिस प्रदेश में 71 वर्ष तक मात्र एक अंतरराष्ट्रीय विमान पत्तन हुआ करता था, 2017 के पश्चात वह प्रदेश मात्र साढ़े चार वर्ष में पाँच-पाँच अंतरराष्ट्रीय विमान पत्तन वाला देश का एकमात्र राज्य बन गया! यही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा प्रदेश के जेवर में बनाकर परिचालित कर दिया गया। अचंभित हो गए न परंतु विकास की यह गाथा सर्वथा सत्य है। यह गाथा आज के उत्तर प्रदेश की है। वही उत्तर प्रदेश पिछली सरकारों में जिसकी पहचान गड्ढे भरी सड़कों, अधोसंरचना के अभाव में पिछड़ापन एवं बुरी कानून-व्यवस्था के कारण अराजकता से हुआ करती थी।

पर अब वही प्रदेश परिवर्तित हो चुका है। परिवर्तन भी ऐसा कि मात्र साढ़े चार वर्ष में देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया। दूर से बैठकर इस विकास गाथा को सुनने वाले कहेंगे कि यह तो चमत्कार है। परंतु सच यह है कि यह चमत्कार नहीं, अपितु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता भरी योजना-दृष्टि और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मठता का परिणाम है। समग्र देश के विकास के प्रति लगन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली में है और वह सदैव विकास की समग्र, एकीकृत एवं समावेशी दृष्टि से कार्य करते रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रवृत्ति भी केंद्रित होकर विकास का लक्ष्य प्राप्त करने वाली है। इसका परिणाम यह हुआ कि योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को विकसित राज्य बनाने को जब ठाना, तो पहला लक्ष्य प्रदेश में अधोसंरचना विकास का निर्धारित किया। पिछड़ेपन का दंश झेल रहे एक ऐसा राज्य आकार में इंग्लैंड से बड़ा है और जनसंख्या इतनी है कि विश्व के केवल पाँच देश ही ऐसे हैं, जिनसे इसकी जनसंख्या कम है। इसका अर्थ यह हुआ कि जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश इतना बड़ा है, जितना कि विश्व का छठा बड़ा देश।

योगी जी दो दशक से अधिक समय तक सांसद रहे हैं और जनता के बीच रहने वाले राजनेता रहे हैं, तो उन्होंने यह स्पष्ट अनुभव किया था कि राज्य का विकास वास्तव में करना है, नया व विकसित उत्तर प्रदेश बनाना है, तो विश्व स्तरीय अधोसंरचना एवं प्रदेश के एक भाग से दूसरे भाग तक संबंद्धता संजाल का निर्माण सबसे पहले करना होगा और मुख्यमंत्री बनने के पश्चात वह पहले दिन से इस लक्ष्य पर कार्य करने में जुट गए। लक्ष्य पर योगी जी के प्रयास साकार रूप में दिखने लगे।

इसी का परिणाम है कि जो राज्य सत्तर वर्ष में मात्र 165 किलोमीटर लंबा एक एक्सप्रेस हाई-वे यमुना एक्सप्रेस-वे पूरा कर सका, उसी राज्य में योगी जी के आते ही आधे-अधूरे आगरा-एक्सप्रेस वे का काम व केवल पूरा किया गया, अपितु प्रदेश को पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक जोडऩे के लिये तीन-तीन नए एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना पर चल पड़े। इनमें प्रयागराज से मेरठ तक लगभग 600 किलोमीटर लंबा विश्व का सबसे आधुनिक व लंबा गंगा एक्सप्रेस-वे भी है।

योगी सरकार ने 341 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे एवं 91 किलोमीटर लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के कार्य का बीड़ा उठाया और मात्र साढ़े चार वर्ष में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे तैयार कर लोकार्पित भी कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस एक्सप्रेस-वे पर अपना विमान उतारकर इसको जनता को कुछ दिन पूर्व समर्पित किया है। यह पिछली सरकारों में उपेक्षित प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के उन 9 जनपदों को यह एक्सप्रेस-वे जोड़ता है। सौतेले व्यवहार के कारण पिछड़़ेपन के रोग से पीडि़त बुंदेलखंड को तो सीएम योगी ने इस प्रकार अपने बच्चे की भाँति संभाला कि इस क्षेत्र के सात जनपदों से होकर निकलने वाले 300 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेस-वे लगभग तैयार हो चुका है और एक मास पश्चात जनवरी 2022 में यह आवागमन के लिये खोल दिया जाएगा।

कुल-मिलाकर योगी सरकार ने सत्तर वर्षों में मात्र 165 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे बनाने वाले राज्य को मात्र साढ़े चार वर्ष में लगभग 1500 किलोमीटर (1497 किलोमीटर) एक्सप्रेस-वे से आच्छादित करने की सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है, जिसमें से लगभग 1100 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की योजना योगी सरकार की अपनी योजना है। योगी सरकार ने साढ़े चार वर्षों में ही प्रदेश को एक्सप्रेस-वे से जोडऩे में लगभग एक हजार प्रतिशत वृद्धि की है। योगी सरकार ने इन एक्सप्रेस-वे के किनारे-किनारे औद्योगिक गलियारा बहा रही है।

केंद्र की मोदी सरकार एवं राज्य की योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के किनारे-किनारे रक्षा उत्पादन गलियारा बना रही है, जो इस क्षेत्र का भाग्य सँवार देगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जोड़ी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-प्रदेश के रूप में रूपांतरित हो रहा है। यह एक्सप्रेस-प्रदेश केवल सड़कों के संजाल स्थापित करके नहीं हो रहा है, अपितु देश व विदेश के विभिन्न भागों के राज्य की संबद्धता संजाल स्थापित करने के लिये विमानन क्षेत्र की अधोसंरचना विकास पर भी मोदी-योगी सरकार ने उतना ही काम किया है।