अमितेश कुमार सिंह, गाजीपुर
2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दल बदल का दौर जारी है। इस बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पुनीत पाठक ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। लखनऊ में उन्होंने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
दादा रहे 7 बार विधायक
पूर्व मंत्री स्व. बच्चा पाठक के पौत्र पुनीत के कांग्रेस में आने की घटना को बलिया के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ी घटना के तौर पर देखा जा रहा है। पुनीत के दादा बच्चा पाठक 7 बार विधायक रहने के साथ ही सूबे की सरकार में दो बार मंत्री भी रहे हैं। वह कांग्रेस के संगठन में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर थे। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर होने के बाद भी उन्होंने अपनी जीत सुनिश्चित की थी। इसीलिए राजनीतिक तौर पर उन्हें शेर-ए-बलिया के तौर पर भी जाना जाता था।
लड़ सकते हैं कांग्रेस से विधानसभा चुनाव
पुनीत के सुभासपा छोड़ने से बलिया जिले की को बांसडीह सीट से पुनीत के विधानसभा लड़के की चर्चा भी सियासी हलकों में हो रही है। पुनीत पाठक के साथ रेवती के ब्लॉक प्रमुख वीर बहादुर राजभर ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। पुनीत ने हालांकि सुभासपा छोड़ते हुए ओपी राजभर का औऱ अन्य का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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कांग्रेस में जाने को लेकर पुनीत ने कहा कि वह अपने दादा स्व. बच्चा पाठक के नक्शे कदम पर चलकर कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेंगे। पुनीत पाठक के सुभासपा छोड़ने की टाइमिंग को लेकर राजनीति के जानकारों में एक नई बहस शुरू हो गई है। उनका मानना है कि ओम प्रकाश राजभर की अगुवाई में बने भागीदारी संकल्प मोर्चा के घटक दलों में समन्वय की कमी तो दिखी रही है। वहीं, आंतरिक तौर पर राजभर की पार्टी में भी असंतोष का आलम बढ़ रहा है। जिसके प्रतिफल पुनीत पाठक सुभासपा छोड़ कांग्रेस में चले गए।
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