प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक तस्वीर इनदिनों मीडिया एवं सोशल मीडिया पर छायी हुई है, जो आगामी उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार से जुड़ी अटकलों का जबाव बनी है। न केवल मुख्यमंत्री उम्मीदवार बल्कि उत्तर प्रदेश की भावी तस्वीर कैसी हो, इसका भी जबाव बनी है। मोदी का हाथ योगी के कंधे पर रखकर चलने वाली इस तस्वीर ने योगी एवं मोदी के संबंधों को भी स्पष्ट कर दिया है। इस एक तस्वीर ने बहुत कुछ कह दिया गया है, कुछ बाकी रहा जो योगी ने इन शब्दों में बयां कर दिया कि हम निकल गए हैं प्रण करके, अपना तन-मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगाना है, अंबर से ऊंचा जाना है, एक भारत नया बनाना है।’ लगता है सूरज उगाना एवं नया भारत बनाना-उत्तर प्रदेश चुनावों में भाजपा का संकल्प होगा।
यह तस्वीर न केवल भाजपा की उत्तर प्रदेश में भावी रणनीति को स्पष्ट कर रही है बल्कि अनेक शंकाओं का निदान एवं संभावनाओं को भी बयां कर रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के लखनऊ में प्रवास पर आना एवं रविवार को मोदी सुबह मुख्यमंत्री योगी के साथ एकांत में कंधे पर हाथ रखे बातचीत करते नजर आना एवं शाम को एयरपोर्ट पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ मुलाकात की तस्वीर का सामना आना- आगामी चुनाव की रणनीति का स्पष्ट करता है। मोदी के साथ योगी-केशव की आई तस्वीर यूपी में बीजेपी के भविष्य के राजनीति को बयां करने वाली बताई जा रही जा रही है।
अगले साल 2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है, विभिन्न राजनीतिक दलों की नजरें ही नहीं, बल्कि उनकी सम्पूर्ण ताकत इन चुनावों में लगी है। दोबारा सत्ता में भाजपा के सूरज उगाने के लिए भाजपा कई रणनीतियों पर एक साथ काम कर रही है। इस बार पार्टी का फोकस उन विधानसभा सीटों पर है जिन पर 2017 के चुनाव में उसके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में से 325 पर जीत हासिल की थी। उसे 78 सीटों पर पराजय का मुंह देखना पड़ा था। प्रश्न है कि क्या इस बार भी इतने प्रचंड सीटों के साथ भाजपा अपने सिर पर जीत का सेहरा बांध पायेगी?
भाजपा का तर्क है कि प्रचंड लहर की स्थिति में जो प्रत्याशी नहीं जीत पाए थे उनका अगले चुनाव में जीतना मुमकिन नहीं है। इसलिए उन 78 प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया जाएगा, जो 2017 के चुनाव में हार गए थे। गौरतलब है कि भाजपा ने 2017 चुनाव के तत्काल बाद उन 78 सीटों की समीक्षा की थी, जहां उसे हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा संगठन ने समीक्षा में पाया था कि कई जगह प्रत्याशी का व्यक्तिगत प्रभाव, कई स्थानों पर प्रत्याशी की जाति का प्रभाव और कुछ जगह अन्य वजहों से हार हुई थी।
इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में सबसे खास बात योगी आदित्यनाथ हैं। 2017 में बीजेपी के पास राज्य में पहले से कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं था लेकिन इस बार योगी आदित्यनाथ का चेहरा है, जिनके पास सरकार को करीब पांच साल चलाने का अनुभव भी है और कुछ अनूठे संकल्प हैं। योगी ने नया सूरज उगाने की बात की हैं। सूरज एक ऐसा भूमण्डीय नक्षत्र है जो संपूर्ण सृष्टि का संचालन करता है। सूरज की ऊर्जा, ताप और प्रकाश जीवन की एक सार्थक व्याख्या है, क्योंकि बिना ऊर्जा के निष्प्राण चेतना मृत्यु है। बिना ताप के विकास की यात्रा निरुउद्देश्य है। बिना प्रकाश का जीवन घुप अंधेरों में डूबा मौन सन्नाटा है। अतः प्रकाश में ही हम जागती आंखों से सत्य की तलाश करते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश के आंगन में सूरज का उतरना बुनियादी जरूरत है। इसकी अगवानी प्रदेश को गतिशीलता, तेजस्विता, कर्मशीलता देगी। प्रदेश के लिये सुखद जीवन, अपराध मुक्त परिवेश का सबब बनेगी। इस मायने में यह एक शुभ शुरुआत है।
वर्ष 2022 के उत्तप्रदेश चुनावों में यह भी तय है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अलग अलग चुनाव मैदान में होगी, दोनों दलों ने पिछला विधानसभा चुनाव भी अलग अलग ही लड़ा था, लेकिन 2019 का आम चुनाव दोनों दलों ने एक साथ लड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समाजवादी पार्टी से गठबंधन था लेकिन इस बार यह मुश्किल लग रहा है। इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा प्रियंका गांधी हैं और असदउद्दीन औवेसी भी चुनाव मैदान में होंगे। ये सभी चुनावी समीकरण भाजपा के लिये शुभ है। सबसे बड़ा शुभ तो योगी ने नया सूरज उगाने का संकल्प लेकर ही घटित कर दिया। क्योंकि सोए से उठने और उठकर चल पड़ने की प्रक्रिया का एक नाम है सूरज का उगना। समय की गति के साथ सूरज आकाश में चढ़ता है। ज्यों-ज्यों वह ऊंचाइयां मापता है, वह जमीं पर भी उतनी ही व्यापकता और विशालता के साथ प्रकाश-किरणों के पंख फैलाता है। वह अपने साथ हर सुबह मनुष्य के नाम नई सौगात लाता है इच्छाशक्ति की, संकल्पशक्ति की, कार्यजाशक्ति की, सुशासन की, ईमानदारी की, अपराधमुक्ति की। सघन अंधेरों की परतों को भेदकर जब सूरज आंगन में उतरता है तो प्रकृति का पौर-पौर प्राणवान हो उठता है, क्योंकि सूरज की अगवानी में जागती रात विकास की अनेक आकांक्षाएं दे जाती है। यही क्षण अभ्युदय का होता है, जिससे सृजनशील चेतना जागती है। सपने संकल्पों में ढलकर साध्य तक पहुंचने के लिए पुरुषार्थी प्रयत्नों में जुट जाते हैं। ऐसा ही परिदृश्य योगी के संकल्पों में निहित है।
जीवन का एक नाम है प्रकाश। प्रकाश में सत्य की तलाश शुरू होती है। जीवन का दर्शन प्रकाश के दर्पण में ही सिमटा हुआ है जबकि अंधेरों में जीवन असुरक्षित, भयाक्रांत, आशंकित, कायर, कमजोर पड़ जाता है। जैसाकि योगी की पूर्व सरकारों के शासन में देखने को मिलता रहा है। भाजपा के संकल्पों में न केवल नया उत्तर प्रदेश बनने की आहट स्पष्ट सुनाई दे रही है बल्कि नया भारत भी इसी से बनने वाला है। क्योंकि अंधेरा चाहे बाहर का हो या भीतर का, दोनों ही जीवन की सार्थकता खो देते हैं। उत्तर प्रदेश का आदमी अंधेरों से डरता रहा है- कहीं कोई उसका वजूद ही खत्म न कर दे। कोई मार न दे। भय के काले साए उसका पीछा करते रहे हैं तब साहस, विश्वास, संकल्प, सोच सभी निष्क्रिय पड़े थे। अंधेरा जीवन का निषेधात्मक पक्ष है। इसकी पकड़ में पाप पलते रहे हैं, बुराइयों का प्रवेश सहजगम्य होता रहा है, क्योंकि यहां उन्हें किसी का भय नहीं होता। लेकिन योगी ने प्रदेश की यह तस्वीर बदली है। प्रगति के नये आयाम जोड़े हैं। ईमानदारी का शासन स्थापित किया है। अतः उनकी आगामी यात्रा पर संदेह करना, अधूरापन होगा।
भाजपा संगठन का मानना था कि 2017 में जिस तरह की लहर थी उस परिस्थिति में पार्टी 50 सीटें और जीतने की स्थिति में थी। लेकिन प्रत्याशियों के व्यक्तिगत प्रभाव की कमी के चलते हार हुई थी। भाजपा इस बार उन 78 सीटों को काफी गंभीरता से ले रही है। इसलिए बीते चुनाव में इन सीटों से चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों को रिपीट नहीं करने का निर्णय लगभग लिया जा चुका है। ऐसा नहीं है कि आगामी यूपी चुनाव में भाजपा सिर्फ 2017 में हारे प्रत्याशियों का ही टिकट काटने जा रही। इस बार अन्य कई दर्जन विधायकों का टिकट कटना तय है। इस तरह के निर्णय भी नये सूरज की अगवानी के माध्यम बनेंगे।
भाजपा नेता और कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि आम जनता भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदर्शन से आशान्वित हैं कि पार्टी फिर से सत्ता में वापसी करेगी। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के चुनाव के लिहाज से अलग-अलग अहमियत है और हर क्षेत्र के अपने अलग मुद्दे और समस्याएं हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों का मुद्दा प्रमुख है। जिसमें गन्ने के बकाए का भुगतान, एमएसपी जैसे अहम मसले हैं। बुंदेलखंड में पानी की समस्या हमेशा से रही है। ये इलाका सूखा प्रभावित है। इसे उत्तर प्रदेश का उपेक्षित इलाका माना जाता है। कहा जाता है कि ये विकास के एजेंडे में नहीं रहता। लेकिन अब समूचा उत्तरप्रदेश बदला है, विकास की नयी डगर पर हैं। सचमुच! जगा आदमी सुरक्षित रह सकता है, क्योंकि गलत आदतें, बुरी वृत्तियां, अनैतिक मूल्य सोए व्यक्ति पर हावी होती हैं। इसलिये यह वक्त उत्तरप्रदेश के मतदाताओं के जागने का समय है। प्रेषक