प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर फिर साबित कर दिया कि सियासी मैदान के सबस बड़ा ‘लड़ैया’ वही हैं। सियासी अखाड़े में अपने अचानक चले दांव से विरोधी को हक्का-बक्का कर देना उनकी पुरानी आदत है। यही वजह है कि 65 साल से देश की सत्ता में जमे कांग्रेस को उखाड़ फेंका। आज (19 नवंबर, 2021) सुबह जब वो राष्ट्र के नाम संबोधन के लिए आए तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करेंगे।
पीएम मोदी ने भेदा विपक्ष का सियासी चक्रव्यूह , करीब डेढ़ साल से किसान आंदोलन की आड़ में विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने के लिए सियासी बिसात बिछा रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के साथ ही बीजेपी की राज्य सरकारों को किसानों के चक्रव्यूह में फंसाने के लिए तमाम कोशिशें हो रही थीं, प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का फैसला कर पांच राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले विपक्ष के हाथों से सबसे बड़े मुद्दे को छीन लिया
प्रधानमंत्री मोदी के फैसले से सबसे ज्यादा झटका कांग्रेस को लगा है। कांग्रेस मानकर चल रही थी, कि तीन कृषि कानूनों से उत्पन्न नाराजगी का फायदा उसे पंजाब के चुनाव में मिलने जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानून वापस लेकर कांग्रेस के मंसूबों पर काफी हद तक पानी फेर दिया है। क्योंकि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। 2 महीने पहले जब पंजाब का मुख्यमंत्री पद छीने जाने के बाद कैप्टन ने कांग्रेस से बगावत की थी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने राकेश टिकैत को सामने रखकर सियासी बिसात बिछायी थी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट और मुस्लिमों में जो दूरियां आ गई थीं, उसे खत्म कर बीजेपी को मात देने की रणनीति बनाई गई थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के फैसले ने जाटों की नाराजगी को दूर कर दिया है। जिस मुद्दे को लेकर राकेश टिकैत घुम-घुमकर किसान महापंचायत में जाटों को भड़का रहे थे, उस मुद्दे को खत्म करने के साथ ही उनकी नेतागीरी की भी हवा निकाल दी है।
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