सैकड़ों वर्ष बाद कनाडा से भारत लाई गई माता अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा उत्तर प्रदेश के 18 जिलों से होते हुए आज सुबह वाराणसी पहुंची। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा का स्वागत काशीवासियों ने अद्भुत अंदाज में किया। बाबा विश्वनाथ के आंगन में भी माता के आगमन की खुशियों का उल्लास कण-कण में बिखरा है। बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी में रजत सिंहासन पर विराजमान होकर मां अन्नूपर्णा श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश कीं।
काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश द्वार से लेकर बाबा के आंगन तक फूलों और रंगीन रौशनी से सजाया गया है। मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा ज्ञानवापी द्वार से बाबा की रजत पालकी में रजत सिंहासन पर विराजमान होकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश करेगी। माता की प्रतिमा रथयात्रा सोमवार तड़के वाराणसी जनपद में आई।
रास्ते भर स्वागत के बाद सुबह 6.50 बजे मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा दरबार पहुंची। थोड़ी ही देर बाद माता को नगर भ्रमण के लिए दुर्गाकुंड मंदिर से निकाला गया। माता की प्रतिमा मां कुष्मांडा के मंदिर से सुबह साढ़े सात बजे नगर भ्रमण के लिए निकली।
पढ़ेंः शिव के आंगन में आज विराजेंगी मां अन्नपूर्णा, काशी विश्वनाथ धाम में सीएम करेंगे प्रतिमा की अगवानी
अन्न-धन की देवी मां अन्नपूर्णा 108 साल बाद फिर से बाबा विश्वनाथ के आंगन में विराजेंगी। काशी विश्वनाथ धाम में बाबा की मंगला आरती के बाद से ही मां अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान आरंभ हो गए हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ सुबह 9:30 बजे प्रतिमा का स्पर्श करेंगे।
काशी विश्वनाथ मंदिर का अर्चक दल काशी विद्वत परिषद की निगरानी में संपूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण कराएगा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ की रंगभरी एकादशी की पालकी यात्रा की रजत पालकी और सिंहासन माता के स्वागत के लिए भेजा गया है। मां ज्ञानवापी के प्रवेश द्वार से इसी पालकी में सिंहासन पर विराजमान होकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश करेंगी।
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के स्वागत के लिए जिले की सीमा पर लोग देर रात तक इंतजार करते रहे। जैसे ही माता की प्रतिमा का रथ शहर की सीमा में पहुंचा, पूरा वातावरण हर-हर महादेव के जयघोष के साथ गूंज उठा। मां के दर्शन के लिए रविवार की रात श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ी।
देर रात तक जगह-जगह पुष्प वर्षा हुई। विलंब से पहुंचने के बावजूद देवी के दर्शन के लिए लोग धैर्यपूर्वक खड़े रहे। भाजपा व कई सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों ने मां अन्नपूर्णा के भव्य स्वागत के लिए पंडाल व मंच व्यवस्था के साथ भजन-कीर्तन भी किया। दुर्गाकुंड स्थित मंदिर में कलाकार रातभर माता के स्वागत में भजन-कीर्तन करते रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी। कहा था कि हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है। यह करीब 108 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई थी।
बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है। लोगों का कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वालों ने प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिया था। काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की जानकारी नहीं है।
सैकड़ों वर्ष बाद कनाडा से भारत लाई गई माता अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा उत्तर प्रदेश के 18 जिलों से होते हुए आज सुबह वाराणसी पहुंची। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा का स्वागत काशीवासियों ने अद्भुत अंदाज में किया। बाबा विश्वनाथ के आंगन में भी माता के आगमन की खुशियों का उल्लास कण-कण में बिखरा है। बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी में रजत सिंहासन पर विराजमान होकर मां अन्नूपर्णा श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश कीं।
काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश द्वार से लेकर बाबा के आंगन तक फूलों और रंगीन रौशनी से सजाया गया है। मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा ज्ञानवापी द्वार से बाबा की रजत पालकी में रजत सिंहासन पर विराजमान होकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश करेगी। माता की प्रतिमा रथयात्रा सोमवार तड़के वाराणसी जनपद में आई।
रास्ते भर स्वागत के बाद सुबह 6.50 बजे मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा दरबार पहुंची। थोड़ी ही देर बाद माता को नगर भ्रमण के लिए दुर्गाकुंड मंदिर से निकाला गया। माता की प्रतिमा मां कुष्मांडा के मंदिर से सुबह साढ़े सात बजे नगर भ्रमण के लिए निकली।
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