हाइलाइट्सयूपी के वित्त सचिव और अडिशनल मुख्य सचिव (राजस्व) की गिरफ्तारी का रास्ता साफसुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को अहंकारी बताया, जमानती वारंट के खिलाफ अर्जी खारिजअफसरों पर आदेश के आंशिक अनुपालन और देरी के मामले में जमानती वारंट जारी हुआ थानई दिल्ली/प्रयागराज
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के वित्त सचिव और अडिशनल मुख्य सचिव (राजस्व) के गिरफ्तारी का रास्ता साफ कर दिया है। इन दोनों के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश के आंशिक अनुपालन और देरी के मामले में जमानती वारंट जारी किया था। इस फैसले को यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि ये अधिकारी बहुत ज्यादा अहंकारी हैं और गिरफ्तारी का रास्ता साफ कर दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक वसूली अमीन की सर्विस नियमित करने और सैलरी बढ़ोतरी के भुगतान का मामला था। इसी मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये अधिकारी अदालत को प्ले ग्राउंड बना रहे हैं और उस शख्स को वेतन बढ़ोतरी देने से मना कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को राहत नहीं
हाई कोर्ट के आदेश के बाद अधिकारियों ने कोर्ट को गुमराह किया। इस मामले में अडिशनल ऐडवोकेट जनरल ने कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी लेकिन बावजूद इसके अधिकारियों ने बढ़ा हुआ वेतन नहीं दिया और अंडरटेकिंग की अवहेलना की। यूपी सरकार ने अपने अधिकारियों की ओर से अर्जी दाखिल कर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली।
चीफ जस्टिस ने अधिकारियों से कहा- आप इसी के काबिल
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि ‘आप इसी के काबिल हैं। हाई कोर्ट को तो अभी तक गिरफ्तारी का आदेश दे देना चाहिए था और कड़ी सजा देनी चाहिए थी। हाई कोर्ट ने फिर भी उदारता दिखाई है। आप अपने कंडक्ट को देखिए, एक कर्मचारी की वेतन बढ़ोतरी को देने से आपने मना किया और उसे रोक रहे हैं। आपके जेहन में कोर्ट के प्रति कोई आदर का भाव नहीं दिखता है।’
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में नरमी बरतने को कहा
शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘ये अधिकारी अहंकारी दिखते हैं।’ यूपी सरकार के अधिकारियों की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि वसूली अमीन को रेग्युलर कर दिया गया है और वेतन बढ़ोतरी का भुगतान होना है। सुप्रीम कोर्ट से मामले में नरमी बरतने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फिट केस है जिसमें जमानती वारंट जारी किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट
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