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9-11-2021
भारत में भ्रष्टाचार की समस्या काफी गंभीर थी। ज्यादातर लोग मान चुके थे कि भ्रष्टाचार जीवन का हिस्सा है और इसे खत्म करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा सकता। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए आज से ठीक पांच साल पहले नोटबंदी का साहसिक और ऐतिहासिक फैसला किया था। इसके तहत 8 नवंबर, 2016 को पहले से प्रचलित 500 और 1000 रुपये के नोटों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी। प्रधानमंत्री मोदी के इस कड़े फैसले को सफल बनाने के लिए जनता ने भी भरपूर साथ दिया था। इसका नतीजा है कि जहां आम जनता का शोषण करने वाले भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगी है, वहीं ईमानदारों की ताकत बढ़ी है। इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आया है। देश डिजिटल इकोनॉमी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज डिजिटल लेन-देन में काफी बढ़ोतरी हुई है, वहीं डीबीटी से किसानों और कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को पूरा लाभ मिल रहा है।
नोटबंदी सुरक्षा की दृष्टि से भी कारगर साबित हुई है। आज पत्थरबाजी और नक्सली घटनाओं में जबरदस्त कमी आई है। बैंकिंग लेन-देन में ट्रांसपेरैंसी बढ़ने से संदिग्ध खातों पर नजर रखना और ट्रैक करना आसान हो गया है। इससे देश विरोधी गतिविधियों के लिए विदेशों से हो रही फंडिंग पर भी रोक लगी है। सेल कंपनियों और फर्जी एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई इसका प्रमाण है। पहले जहां 86 प्रतिशत बड़े नोट(500 और 1000 रु) सर्कुलेशन में थे, वहीं वर्तमान समय में सिर्फ 18 प्रतिशत बड़े नोट सर्कुलेशन में हैं। इससे फेक करेंसी पर रोक लगी है। इन्हीं सब कदमों का परिणाम है कि बीते पांच वर्षों में देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की विश्वसनीयता बढ़ी है।
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