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वाराणसीः यूपी चुनाव 2022 में रामअचल के सहारे राजभर समाज को साधने का प्रयास करेगी सपा

रामअचल राजभर रविवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। रामअचल के सपा में आने से अब राजभर मतों में बिखराव थम सकता है।

किसी जमाने में बसपा के पिछड़े चेहरे के रूप में पहचान बनाने वाले रामअचल राजभर रविवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पहले ही सपा के साथ चुनावी गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं।

रामअचल के सपा में आने से अब राजभर मतों में बिखराव थम सकता है। कारण, पूर्वांचल में भी पिछड़ा समाज में अपनी पैठ रखने वाले रामअचल अवध क्षेत्र में भी सपा को फायदा पहुंचा सकते हैं। दरअसल, राजभर मतों को साधने के लिए भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सुभासपा को अपने साथ लिया था।

सुभासपा के विकल्प के रूप में भाजपा ने सपा से ही आए अनिल राजभर को समाज के चेहरे में रूप में प्रस्तुत किया। मगर, कैबिनेट मंत्री बनने के बाद भी अनिल राजभर सुभासपा का विकल्प नहीं बन पाए और न ही समाज में अपनी उस तरह से पैठ बना पाए हैं।

उधर, सुभासपा के बाद अब बसपा से निकाले गए रामअचल राजभर के सपा में आने के बाद वाराणसी के अलावा सलेमपुर, बलिया, मऊ, गाजीपुर सहित अन्य जिलों में राजभर समाज को सपा की ओर से लाने का प्रयास होगा। दरअसल, पूर्वांचल में राजभर वोट 12 से 15 फीसदी है और वर्ष 2014 से पहले तक उसे गैर भाजपा मत माना जाता था।

मगर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर सुभासपा से भाजपा के गठबंधन के बाद उसका रुख बदला था। वर्तमान हालात में राजभर मतों में बिखराव की स्थिति तो बन रही थी, मगर अब सपा इस बिखराव को हर हाल में रोकने की कोशिश करेगी।

किसी जमाने में बसपा के पिछड़े चेहरे के रूप में पहचान बनाने वाले रामअचल राजभर रविवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पहले ही सपा के साथ चुनावी गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं।

रामअचल के सपा में आने से अब राजभर मतों में बिखराव थम सकता है। कारण, पूर्वांचल में भी पिछड़ा समाज में अपनी पैठ रखने वाले रामअचल अवध क्षेत्र में भी सपा को फायदा पहुंचा सकते हैं। दरअसल, राजभर मतों को साधने के लिए भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सुभासपा को अपने साथ लिया था।

सुभासपा के विकल्प के रूप में भाजपा ने सपा से ही आए अनिल राजभर को समाज के चेहरे में रूप में प्रस्तुत किया। मगर, कैबिनेट मंत्री बनने के बाद भी अनिल राजभर सुभासपा का विकल्प नहीं बन पाए और न ही समाज में अपनी उस तरह से पैठ बना पाए हैं।