गाजियाबाद
गाजियाबाद पुलिस ने डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ ‘गुंडा एक्ट’ लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्हें हाल में जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया था। पुलिस ने उनके ऊपर गुंडा एक्ट लगाने की सिफारिश वाली फाइल मंजूरी के लिए एसडीएम को भेजी है। यहां से फाइल एसएसपी और डीएम के पास स्वीकृति के लिए भेजी जाएगी।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि यति नरसिंहानंद पर गुंडा एक्ट लगाने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि यति के खिलाफ दिल्ली के अलावा गाजियाबाद के विभिन्न पुलिस थानों में 10 मामले दर्ज हैं और उनके और मंदिर परिसर को लेकर विवाद अकसर होते रहे हैं। पुलिस को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौबीसों घंटे मंदिर के पास कर्मियों को तैनात करना पड़ता है।
प्रशासन ने समाज के लिए बताया खतरनाक
इस महीने की शुरुआत में, अल्पसंख्यक समुदाय के एक अन्य लड़के की तुलना एक ट्रेंड हत्यारे से की गई थी। आरोप लगाया गया था कि वह लड़का यति की रेकी के लिए मंदिर परिसर में दाखिल हुआ था। हालांकि पुलिस ने स्पष्ट किया था कि लड़के को पास के स्वास्थ्य केंद्र था लेकिन वह भ्रमित हो गया था और गलत गेट में घुस गया था।
प्रशासन को भेजी गई रिपोर्ट में पुलिस ने यति को ‘समाज के लिए खतरनाक’ बताया है और राजनीति में महिलाओं के खिलाफ उनकी अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल का भी जिक्र किया है।
7 अगस्त और 29 अगस्त को वीडियो आया सामने
31 अगस्त को, महिलाओं पर उनकी टिप्पणियों के लिए मसूरी पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गईं। दो मामले उप-निरीक्षक लोगेश कुमार और अनिल कुमार की शिकायतों पर और तीसरी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा की ओर से डीजीपी मुकुल गोयल को लिखे जाने के बाद दर्ज की गई थी। यति की टिप्पणियों पर लगभग दो वीडियो जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किए गए थे। पहला वीडियो 7 अगस्त को और दूसरा 29 अगस्त को सामने आया था।
डीएम की अनुमति का इंतजार और जिला बदर होंगे यति
एएसपी आकाश पटेल ने बताया कि यति लगातार शांति भंग करने का प्रयास करते हैं। यति ने आरोप लगाया (11 अक्टूबर को) एक 10 वर्षीय लड़का उसे मारने के लिए मंदिर में घुसा था, लेकिन पुलिस जांच से पता चला कि लड़का गलती से प्रवेश कर गया था क्योंकि वह अपने रिश्तेदार को देखने के लिए सरकारी अस्पताल जाना चाहता था। हमने रिपोर्ट में अन्य मामलों का भी उल्लेख किया है। फाइल पांच दिन पहले प्रशासन को भेजी गई थी और अब हम डीएम की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं।
ऐसे लगता है गुंडा एक्ट
गुंडा एक्ट लगाने की एक प्रक्रिया है। इसे लगाने से पहले प्रशासन सुनवाई करता है। आरोपी को अपनी पक्ष रखने और बहस करने का अधिकार होता है। सुनवाई पूरी होने के बाद फाइल डीएम के पास अंतिम फैसले के लिए भेजी जाती है। जिस शख्स पर गुंडा अधिनियम लगता है उसे छह महीने से ज्यादा समय के लिए जिले के बाहर कर दिया जाता है। मतलब सजा की अवधि तक जिला बदर किया गया शख्स जिले में प्रवेश नहीं कर सकता है।
यति के खिलाफ कब-कब दर्ज हुए केस
यती के खिलाफ गाजियाबाद में पहला केस 2005 में कवि नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। उनके ऊपर एक सरकारी कर्मचारी को धमकाने का आरोप लगा था। दूसरा मामला 2010 में मसूरी पुलिस थाने में हत्या के लिए उकसाने का दर्ज हुआ था। उसके खिलाफ 2014 (निवारी पीएस), 2016 और 2017 (कोतवाली पीएस), 2019 (मसूरी पीएस) में केस दर्ज हुआ था। इस साल की शुरुआत में (मसूरी पीएस में) अन्य मामले दर्ज किए गए थे। अप्रैल 2021 में उन्होंने कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी की थी। धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
महंत ने दी भूख हड़ताल की धमकी
डासना मंदिर के पुजारी ने कहा कि वह अपना पक्ष रखने के लिए गाजियाबाद के डीएम से मिलेंगे। यति ने कहा, ‘अगर प्रशासन मुझ पर गुंडा एक्ट लगाता है तो मैं सीएम आवास के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर रहूंगा। पुलिस ने 2019 की हिंसा के बाद भी मेरे खिलाफ गुंडा एक्ट लगाने की कोशिश की थी।’
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