काशी विश्वनाथ धाम प्राचीनता के साथ नवीन स्वरूप में सनातनधर्मियों के सामने होगा। 352 साल पहले विलुप्त हो चुके देवविग्रह भी बाबा के साथ काशी विश्वनाथ धाम में विराजेंगे। वाराणसी में बाबा के दरबार आने वाले श्रद्धालुओं को शिव कचहरी, देव गैलरी, काशी खंडोक्त मंदिरों के साथ 178 विग्रह के दर्शन का पुण्यलाभ मिलेगा।
अखिल भारतीय संत समिति और काशी विद्वत परिषद की इस पहल पर शासन ने भी अपनी मुहर लगा दी है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए चार भव्य प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इन चारों द्वार के नाम चारों वेदों के नाम पर रखने पर विचार किया जा रहा है।
धाम में प्रवेश करने वालों को चारों वेदों की ऋचाओं के मंत्र भी धाम में सुनाई देंगे। इसके साथ ही द्वारों के ऊपर देवताओं के विग्रह स्थापित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम का काम 15 नवंबर तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके बाद धाम में मंदिरों की मणिमाला व विग्रहों को स्थापित करने का कार्य आरंभ हो जाएगा।
धाम परिसर में निर्माण के दौरान 139 विग्रह, 39 काशी खंडोक्त विग्रह और 27 प्राचीन देवालय मिले हैं। कॉरिडोर क्षेत्र में मिले विग्रहों को शिव कचहरी और देव गैलरी में दर्शन पूजन के लिए स्थापित किया जाएगा।
वहीं, मणिमाला में शामिल 27 प्राचीन देवालयों के पुनर्निर्माण का कार्य भी किया जाएगा। इसकी शुरुआत सरस्वती फाटक से माता सरस्वती के भव्य मंदिर के निर्माण से होगी। सरस्वती फाटक पर बनने वाले माता सरस्वती के मंदिर निर्माण में दो करोड़ रुपये की लागत खर्च होगी। इसके साथ ही अन्य सभी देवालयों का निर्माण व जीर्णोद्धार का काम किया जाएगा।
वहीं, बाबा के दरबार से 352 साल पहले मुगलों के आक्रमण के दौरान विलुप्त नौ विग्रहों को भी काशी विश्वनाथ धाम में स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अखिल भारतीय संत समिति नौ विग्रहों को उपलब्ध कराएगी और काशी विद्वत परिषद इन विग्रहों को काशी विश्वनाथ धाम में शास्त्रोक्त विधि से स्थापित कराएगी।
अखिल भारतीय संत समिति महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि अखिल भारतीय संत समिति काशी से विलुप्त हो चुके नौ विग्रहों को काशी विश्वनाथ धाम में स्थापित कराएगी। स्कंदपुराण और पं. कुबेरनाथ शुक्ल के शोध के अनुसार विलुप्त विग्रहों को उनके प्राचीन स्वरूप के अनुसार ही तैयार कराया जाएगा।
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