23-10-2021
मोदी सरकार के रणनीतिक सुधारों और कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी के कारण दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। खास बात यह है कि 2022 में भारत को छोड़कर किसी भी अन्य देश में यह वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने का अनुमान जताया गया है। आर्थिक विकास दर के मामले में भारत ने चीन और अमेरिका को काफी पीछे छोड़ दिया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सर्वे के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद भविष्य की स्थितियों को लेकर लोग काफी आशावादी हैं। इसके साथ ही रिजर्व बैंक को चालू वित्त वर्ष में विकास दर 9.5 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स जो जुलाई में 48.6 था, सिंतबर में बढ़कर 57.7 हो गया है। साथ ही फ्यूचर एक्सपेक्टेशंस इंडेक्स जुलाई में 104 था, वह सितंबर में बढ़कर 107 हो गया है। यह देश की बेहतर अर्थव्यवस्था के संकेत हैं। सर्वे के अनुसार अर्थव्यवस्था और नौकरियों को लेकर सेंटीमेंट में सुधार देखने को मिल रहा है।
कोरोना काल में भी भारत ने मजबूत वृद्धि दर हासिल की है और सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर है। भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 9.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार आर्थिक गतिविधियों में तेजी के संकेत सुधार को दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर कम हो गया और दूसरी तिमाही से आर्थिक विकास और बेहतर होगा। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महामारी के चलते आर्थिक वृद्धि पर ज्यादा जोर देने का फैसला किया। बैंक ने सरकार द्वारा निर्धारित 2 से 6 प्रतिशत तक मुद्रास्फीति दर के लक्ष्य को ध्यान में रखकर कदम उठाए हैं। इससे वैश्विक बाजार में तरलता की आसान स्थिति के कारण घरेलू बाजार में तेजी दिखाई दे रही है।
इकोनॉमिक थिंक टैंक हृष्ट्रश्वक्र ने देश की विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। एनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता के अनुसार देश में सप्लाई सामान्य होने लगी है। सेवाओं में मांग बढऩे के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था भी पटरी पर है। इससे वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 10 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है। पूनम गुप्ता के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था में उछाल और कोविड-19 की वजह से आपूर्ति संबंधी दिक्कतें कम होने से चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छी वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2022-23 में यह 7 प्रतिशत रह सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक (सॉवरेन) एंड्रयू वुड ने कहा कि महामारी के संदर्भ में भारत की बाह्य स्थिति मजबूत हुई है। देश ने रिकॉर्ड गति से विदेशी मुद्रा भंडार जुटाया है।
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