आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस खास अवसर पर ठाकुरजी के दर्शन के लिए ब्रज में सभी मंदिरों में विशेष तैयारियां की जा रही हैं, जिससे धवल चांदनी के बीच भक्तजन अपने इष्टदेव के दर्शन कर सकें।
मथुरा के ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आकाश से अमृत की बूंदें गिरती हैं। रात में आसमान के नीचे खीर रखी जाती है, जिससे खीर भी अमृत के समान हो जाती है। चंद्र देवता की विशेष पूजा कर खीर का भोग लगाया जाता है।
मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में शरद पूर्णिमा की तैयारियां हो रही हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर स्थित केशवदेव मंदिर को सजाया जा रहा है। ठाकुरजी के शृंगार के लिए विदेशी फूलों का उपयोग किया जाएगा। यहां गर्भ गृह चबूतरा पर महारास रात 11 बजे तक होगा। 11:30 बजे तक केशवदेव के दर्शन होंगे।
द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन का समय
शरण पूर्णिमा के लिए पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के मंदिर ठाकुर द्वारकाधीश महारज में तैयारियां चल रही हैं। मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि 20 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा के विशेष दर्शन शाम 6:30 से 7:30 बजे तक मंदिर परिसर में होंगे।
प्राचीन मंदिर ठाकुर श्रीकेशव देव के मीडिया प्रभारी नारायण प्रसाद शर्मा ने बताया कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर मंदिर में भगवान का प्रात: काल 101 किलो पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। अभिषेक के पश्चात भक्तों को खीर वितरण की जाएगी।
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यह सेवा मंदिर में प्रात:काल से रात तक जारी रहेगी। सायंकाल भव्य फूल बंगला सजाया जाएगा। श्रीकृष्ण सामूहिक संकीर्तन मंडल के सदस्य भजनों की प्रस्तुति देंगे। सायंकाल 6 बजे से नाथद्वारा शैली में भगवान को छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे।
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