भगवान शिव की नगरी काशी में शक्ति की आराधना का उल्लास छाया हुआ है। शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर समस्त सिद्धि प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री देवी का दर्शन-पूजन किया जा रहा है। बनारस के मैदागिन के पास गोलघर के पीछे स्थित मां सिद्धिदात्री के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ी है। इसके अलावा अन्य मंदिरों में भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन-पूजन कर रहे हैं।
दूसरी ओर मंदिरों, मठों, संस्थाओं और घरों में कन्याओं के साथ भैरव के रूप में बालकों का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। रविंद्रपुरी स्थित अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान में पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के दिशा-निर्देश पर देवी स्वरूप में नौ कन्याओं एवं भैरव बाबा का पूजन किया गया।
कन्याओं के पांव पखारे गए। इसके बाद उन्हें लाल चुनरी ओढ़ाकर उनका पूजन अर्चन किया गया। कन्या स्वरूपों का पूजन करके उनको भोग अर्पित किया गया। कन्या भोज के लिए घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए। चना, हलवा, पूड़ी और दही का भोग अर्पित किया गया। भोज के उपरांत कन्याओं को दक्षिणा और उपहार देकर विदाई दी गई।
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इससे पहले बुधवार को उत्तर प्रदेश भाईचारा कमेटी के तत्वाधान में रामापुरा स्थित जवाहर कुंज में 108 कन्याओं का पूजन किया गया। कमेटी के अध्यक्ष प्रमोद वर्मा ने कहा कि 108 कन्याओं को फलाहार कराया तथा पांव छूकर विश्व की शांति व खुशहाली का आशीर्वाद मांगा।
अष्टमी तिथि की तरह ही नवरात्रि में नवमी तिथि का भी विशेष महत्व माना गया है। महानवमी तिथि की पूजा बृहस्पतिवार को रवियोग में की जाएगी। नवमी तिथि 14 अक्तूबर को रात 9.27 तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश प्रसाद मिश्र ने बताया कि इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं और एक बालक को भी आमंत्रित कर बटुक भैरव का स्वरूप अपने घर आमंत्रित करके पूजन किया जाना चाहिए।
साथ ही अगर देवी सरस्वती की स्थापना की हो तो उनका विसर्जन नवमी को किया जा सकता है। ये मन्वादि तिथि होने से इस दिन श्राद्ध का भी विधान है। इस तिथि पर सुबह जल्दी स्नान कर के दिनभर श्रद्धानुसार दान करने की परंपरा है।
दुर्गा पूजा के बाद मूर्तियों के विसर्जित के लिए लिए खिड़किया घाट और रामनगर सामनेघाट के समीप विसर्जन कुंड बनेगा। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने दोनों जगहों पर समय से कुंड निर्माण के निर्देश दिए हैं। उन्होंने नगर निगम को कुंड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
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