अनमोल शर्मा, मेरठ
साल 1955 से मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग चलती आ रही है। अधिवक्ताओं का कहना है कि वेस्ट यूपी में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना होनी चाहिए। इसी मांग को लेकर मेरठ बार असोसिएशन ने मंगलवार को ‘नो वर्क’ रखते हुए बैठक में 1 अक्टूबर तक काम बंद रखने का फैसला लिया है। इसके बाद 2 अक्टूबर गांधी जयंती का अवकाश रहेगा और 3 अक्टूबर को रविवार की वजह से कचहरी बंद रहेगी। साथ ही 29 सितंबर को सम्पूर्ण पश्चिमी यूपी के अधिवक्ता स्ट्राइक पर रहेंगें। इस बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए।
क्या-क्या हुए फैसले
मेरठ बार असोसिएशन के अध्यक्ष महावीर सिंह त्यागी ने बताया कि जब तक वेस्ट यूपी को हाइकोर्ट बेंच नहीं मिल जाती, तब तक महीने के पहले और तीसरे शनिवार को भी कचहरी बंद रहेगी और रजिस्ट्री ऑफिस और ट्रेजरी ऑफिस भी नहीं खुलेंगे। बैठक में महीने के दूसरे बुधवार और चौथे बुधवार को वेस्ट यूपी में हड़ताल रखने का भी फैसला लिया गया है। साथ ही मेरठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या फिर कैबिनेट मिनिस्टर के किसी भी तरह के कार्यक्रम वाले दिन सभी अधिवक्ता काम नहीं करेंगें।
कार्यक्रम वाले स्थान पर घेराव भी किया जाएगा। बैठक के बाद एक पोस्टर जारी किया गया है जिसमें वेस्ट यूपी के प्रत्येक जिले की बार असोसिएशन अपने क्षेत्र के सांसद, विधायक और अन्य मंत्रियों का घेराव करेंगे।
लाहौर से भी दूर है इलाहाबाद हाईकोर्ट
पश्चिमी यूपी में 22 जिले लगते हैं और इन जिलों से इलाहाबाद हाइकोर्ट की दूरी पाकिस्तान के लाहौर से भी ज्यादा है। मेरठ से प्रयागराज करीब 657 किलोमीटर दूर है जबकि पाकिस्तान का लाहौर केवल 458 किलोमीटर दूर है। मेरठ बार असोसिएशन के महामंत्री एडवोकेट सचिन चौधरी ने बताया कि वेस्ट के किसी भी जिले में यदि हाइकोर्ट बेंच मिल जाएगी तो समय की बर्बादी और पैसे की बचत दोनो होगी।
उन्होंने आगे कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में वेस्ट यूपी के 2008 के आंकड़ों के हिसाब से सिविल के 6 से ज्यादा मुकदमे, क्राइम के करीब 3 लाख और बाकी के साढ़े पांच लाख मुकदमे लंबित हैं। हाई कोर्ट में 50% से ज्यादा काम वेस्ट यूपी का होता है और ऐसे में वेस्ट यूपी में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना होगी तो मुकदमों के फैसले जल्दी आएंगे और लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा।
कब-कब हुआ आंदोलन
साल 1955 में पहली बार वेस्ट यूपी में हाई कोर्ट बेंच की मांग उठी थी और बड़े स्तर पर 1978 में एक महीने की हड़ताल और भूख हड़ताल कर के मांग को जोरों से उठाया गया। फिर साल 1981, 1982 में भी बेंच की मांग को बुलंद किया गया। 1986-87 में ऋषिकेश से दिल्ली तक पद यात्रा निकाली गई। तब उत्तराखंड भी यूपी का हिस्सा हुआ करता था। साल 2001, 2014, 2015, 2017 और अब 2021 में भी हाई कोर्ट बेंच की मांग को बुलंद किया जा रहा है। तमाम आंदोलन के बाद भी आज तक हाई कोर्ट बेंच नही मिल सकी।
लोकसभा में भी उठी आवाज
मेरठ के भाजपा से तीसरी बार सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने वेस्ट यूपी में हाई कोर्ट बेंच के मुद्दे को अब तक तीन बार लोकसभा में उठाया है। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि हाई कोर्ट बेंच की जरूरत है इससे सम्पूर्ण ज्यूडिशरी सिस्टम रेवेन्यू हो सकेगा। कई बार प्रस्ताव दिया गया है और मैंने खुद भी प्राइवेट मेंबर बिल के जरिए हाई कोर्ट बेंच की बात रखी है। सांसद ने उम्मीद जताते हुए आगे कहा कि हाई कोर्ट बेंच जल्दी मिलनी चाहिए।
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