सितम्बर 2021/ रैबीज एक जानलेवा बीमारी है. परन्तु इसकी रोकथाम पूर्णतः संभव है। 28 सितम्बर को “विश्व रैबीज दिवस” का आयोजन किया जा रहा हैं। इस वर्ष का थीम “रेबीज फैक्स नॉट फियर” रखा गया हैं । इसके जागरूकता के लिए जिला एवं विकासखंडों में विभिन्न गतिविधियां और प्रतियोगिता की जायेगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने बताया कि रैबीज बीमारी कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि जैसे जानवरों के काटने या खरोचने के कारण हो सकता है। यह वायरल सक्रमण हैं जो मनुष्यों और जानवरों में हमेशा ही घातक होता हैं।इस बीमारी से बचना पूरी तरह संभव है।
*जानवर के काटने के बाद क्या उपचार करना चाहिये ?*
सबसे पहले जख्म घाव को साबुन और साफ बहते पानी से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धोएं, घाव पर एंटीसेप्टिक लगाये । घाव को खुला छोड़े और टांके ना लगवाएं,तुरन्त अपने डाक्टर की सलाह से ऐंटीरैबीज और इम्यूनोग्लोबिन सिरम का टीका लगवाये । टीका जानवर के काटने के 0,3,7,14 एवं 28 दिनों में कुल 5 डोज लगाया जाता हैं।
*जानवरों में रैबीज होने पर लक्षण*
जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन, भौंकने के स्वर में बदलाव, बिना किसी कारण अत्यधित उत्तेजित हो जाना और बिना किसी कारण से काटना ,हाईड्रोफोबिया (पानी का डर), मुंह से अत्यधिक लार का निकलना, लकवा आना जैसे लक्षणों के दिखने पर कुछ ही दिनों में जानवरों की मृत्यु हो जाती हैं।
*मनुष्यों में रेबीज होने के लक्षण क्या है?*
अज्ञात जानवरों से काटने का इतिहास,पानी से डर लगना तथा वायुभीति।
रेबीज इंफेक्शन एक विशेष प्रजाति के न्यूरोट्रॉपिक वायरस के कारण होता है जिससे रेप्टो वायरस भी कहा जाता है। रेबीज होने पर बुखार आने लगता है संक्रमित जानवर जहां काटता है वहां झुनझुनी होने लगती है। थकावट महसूस करना, मांसपेशियों में जकड़न, चिड़चिड़ापन, उग्रता ,स्वभाव में परिवर्तन ,व्याकुलता , लार एवं आंसू का ज्यादा आना ,बोलने में तकलीफ होना, अंधेरे में रहना पसंद करना आदि इसके प्रमुख लक्षणों में से हैं।
**रेबीज से बचने के उपाय*
समय समय पर पालतु जानवरों का टीकाकरण करवाए,अंधविश्वास से बचे. घाव पर मिर्च, सरसों का तेल इत्यादि या कोई अन्य पदार्थ न लगाये, घाव को साबुन और बहते साफ पानी से तुरन्त धोए व स्प्रिट,अल्कोहल या घरेलु एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करें। अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें या निकटतम एंटी रेबीज क्लिनिक में जाएं तथा डाक्टरों की सलाह अनुसार एंटी रेबीज टीकाकरण का कोर्स पूरा करें।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है परन्तु रेबीज का प्रतिरोध पूर्णतः संभव हैं । उन्होंने कहा कि टीकाकरण करवाएं और सुरक्षित रहें।
क्रमांक/09-157 /कोसरिया
समाचार
ग्राम नहरडीह में पेनिकल माइट कीट का प्रकोप जिसकी रोकथाम हेतु कृषकों को दी सलाह
रायपुर 27 सितम्बर 2021/विकासखंड तिल्दा के ग्राम नहरडिह में पेनिकल माइट कीट प्रकोप की शिकायत प्राप्त होते ही कृषि विज्ञान केन्द्र रायपुर से कृषि वैज्ञानिक डा.चंद्रमणि साहू एवं कृषि अधिकारी श्रीमति ममता पाटिल, सहायक संचालक कृषि द्वारा गत दिवस ग्राम नहरडीह में फसल निरीक्षण किया गया, जिसके दौरान धान किस्म महामाया में पेनिकल माइट कीट से लगभग 50 हेक्ट. रकबा प्रभावित पाया गया ।
कृषि विभाग रायपुर के उप संचालक ने बताया कि इसकी रोकथाम हेतु डा.चंद्रमणि साहू द्वारा कृषकों को कीटनाशक दवा डायकोफॉल 1350 मि.लि. प्रति हे. अथवा इथियान 500 मि.लि. प्रति हे. अथवा प्रोपिनोजेट 1250 मि.लि. हे. अथवा प्रोपिनोजेट़हेक्जाथाइजोक्स 1250 मि.लि. प्रति हे. अथवा स्पाईरोमेसीफीन 400 मि.लि. प्रति हे. का धान के खेत में छिडकाव करने की सलाह दी गई। साथ ही कृषि अधिकारी के द्वारा कृषकों को उपरोक्त सभी कीटनाशक दवाईयों के समस्त कृषि केन्द्र में उपलब्ध होने के संबंध में अवगत कराते हुए चर्चा के दौरान समस्त कृषकों को सलाह दी गई, कि जहां भी पेनिकल माइट कीट का प्रकोप पाये जाने पर उपरोक्त अनुशंिसत कीटनाशक दवाओं में से किसी भी एक दवा का तत्काल छिडकाव करें।
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