आतंकी मॉड्यूल का मुख्य कर्ताधर्ता हुमैद उर रहमान ने यूं ही सरेंडर नहीं किया। इसके लिए भी एटीएस को खासा मशक्कत करनी पड़ी। एटीएस के जवान लगातार हुमैद के परिजनों से बातचीत में जुटे थे। उन्हें समझाया जा रहा था कि हुमैद पुलिस से बहुत दिनों तक बच नहीं पाएगा। ऐसे में ठीक यही रहेगा कि वह खुद को उनके हवाले कर दे। इसके बाद ही वह करेली थाने के पास पहुंचा जिसके बाद एटीएस ने उसे हिरासत में ले लिया।
एटीएस की टीम लगातार हुमैद के परिजनों के संपर्क में थी। हुमैद की तलाश के साथ ही वह उनसे बातचीत में भी जुटी थी। दिल्ली पुलिस की ओेर से लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद उस पर दबाव बढ़ गया था। एटीएस लगातार उसकी तलाश में छापे मार रही थी। साथ ही परिजनों को भी समझा रही थी कि जिस भी माध्यम से संपर्क हो, वह हुमैद से सरेंडर करने के लिए कहें। लुकआउट सर्कुलर जारी होने केबाद उसके लिए फ्लाइट से भागने का विकल्प भी खत्म हो गया था।
उधर रेलवे स्टेशनों पर पुलिस को अलर्ट कर दिया गया था। सीमा के सभी थानों की पुलिस को भी हाईअलर्ट पर कर दिया गया था। यही वजह थी कि हुमैद के पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था। उधर एटीएस लगातार परिजनों के संपर्क में थी। ऐसे में परिजनों न ही उसे सरेंडर करने के लिए कहा जिस पर आखिरकार वह राजी हो गया। इसके बाद शुक्रवार शाम वह करेली थाने के पास एटीएस केबताए स्थान पर पहुंच गया। इस दौरान उसके परिवार का एक सदस्य भी साथ था। इसके बाद एटीएस की टीम उसे अपने साथ लेकर पुलिस लाइन पहुंची जहां से कुछ देर बाद टीम उसे लेकर लखनऊ के लिए रवाना हो गई।
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