दिल्ली से मेरठ तक बन रहे रैपिड रेल कॉरिडोर में महिला शक्ति का भी योगदान दिख रहा है। कॉरिडोर के सबसे अहम कार्य भूमिगत सुरंग बनाने के लिए सहायक अभियंता निमिशा सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए वीडियो बनाकर अपने यू-टयूब अकाउंट पर शेयर किया है। इसमें निमिशा सिंह दिल्ली में चल रहे भूमिगत सुरंग कार्य में कर्मचारियों और अपने सह-कर्मियों के साथ कार्य कर रही हैं।
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82 किमी के कॉरिडोर में कई हजार श्रमिक और इंजीनियर लगे हुए हैं। देश की पहली रीजनल रैपिड रेल में कार्य करने का अवसर मिलने के बाद निमिशा ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया है। वीडियो में वह कहती हैं कि मैं एनसीआरटीसी को धन्यवाद देती हूं, उन्होंने मुझ पर विश्वास जताते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी है।
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर से सिविल इंजीनियरिंग करने वाली निमिशा सुरंग बनाने के लिए किए जाने वाले कार्यों को गंभीरता के साथ साइट पर पहुंचकर देख रही हैं। जिससे निर्माण की गति को बढ़ाया जा सके। उनके कार्य के जज्बे को देखकर अन्य पुरुष कर्मचारी भी लगन के साथ रैपिड रेल का कार्य कर रहे हैं।
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बता दें कि दिल्ली से मेरठ तक 82 किमी के रैपिड रेल कॉरिडोर का कार्य शहर के बीचों-बीच पहुंच गया है। मेरठ में तीन स्टेशनों को भूमिगत बनाया जाना है। इसके लिए 5.8 किमी टनल के प्रवेश और निकास स्थान पर कार्य शुरू कर दिया गया है।
एनसीआरटीसी की कोशिश है कि वर्ष-2023 दिसंबर तक मेरठ तक रैपिड रेल का संचालन किया जा सके। ऐसा दावा खुद केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र भी कॉरिडोर के निरीक्षण के समय कर चुके हैं। कार्य की रफ्तार को देखते हुए ये संभव भी है।
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