17-9-2021
कोरोना संकट ने भारत सहित पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। ऐसे मुश्किल समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ना सिर्फ कोरोना के असर को कम करने में सफल रही, बल्कि अर्थव्यवस्था और लोगों की मदद कर महंगाई को भी नियंत्रण में रखा। इसकी वजह से जहां आज अर्थव्यवस्था में तेजी दिखाई दे रही है, वहीं आम जनता को महंगाई की मार से भी राहत मिली है। उधर कांग्रेस और अन्य सियासी दल महंगाई को लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन विश्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों ने कांग्रेस के दावों की पोल खोलकर रख दी है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मोदी सरकार में महंगाई की दर मनमोहन सरकार की तुलान में काफी कम रही है।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने महंगाई पर काफी हद तक काबू पा लिया था। 2004 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तब उपभोक्ता कीमतों के आधार पर महंगाई दर 3.767 प्रतिशत थी, लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने सत्ता संभाली महंगाई ने विकराल रूप धारण करना शुरू कर दिया। मनमोहन सिंह के 10 साल के शासन में मोदी सरकार की तुलना में महंगाई न सिर्फ बढ़ी बल्कि इसकी रफ्तार भी बहुत तेज रही। 2009, 2010 और 2013 ऐसे साल रहे जब महंगाई दर 10 प्रतिशत से भी ज्यादा रही। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में महंगाई की वजह से कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई।
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागड़ोर संभाली तो उन्हें मनमोहन सरकार से विरासत में 6.65 प्रतिशत की महंगाई दर मिली। 2014 में उपभोक्ता कीमतों के आधार पर भारत में महंगाई दर 6.65 थी। लेकिन मनमोहन सरकार के विपरीत मोदी सरकार के सत्ता संभालते ही महंगाई दर में गिरावट आना शुरू हो गया। प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में लगातार 5 साल महंगाई दर 5 प्रतिशत के नीचे रही, और 3 साल तो यह 3 प्रतिशत के करीब रही। अब देश कोरोना संकट से उबरने लगा है और महंगाई दर में गिरावट के संकेत मिलने लगे हैं। उद्योग धंधों में रौनक लौट आई है, सेंसेक्स नई ऊंचाइयों की तरफ अग्रसर है, जीडीपी में 2 अंकों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है और बाजार की हालत संभलती दिख रही है।
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