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कोरोना काल में महिलाओं के हार्मोन हुए असंतुलित, बढ़ा मोटापा

कोरोना काल के 18 महीने महिलाओं की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं। अनियमित हुई दिनचर्या, खानपान में लापरवाही से हार्मोंस असंतुलन से महिलाएं मोटापा बढ़ने से परेशान हैं। यही नहीं मोटापे के साथ महिलाओं को सांस फूलने, हाई बीपी, शुगर लेवल बढ़ने से लिवर संबंधी दिक्कतें हो रहीं हैं। परेशान महिलाएं अब अस्पतालों के चक्कर लगा रही हैं। स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इसे मोटाबॉलिज्म डिस्आर्डर कहते हैं, जिससे पूरे शरीर का रेग्यूलेटरी सिस्टम डिस्टर्ब हो जाता है।

मंडल के सबसे बड़े एमएलएन मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल, जिला महिला चिकित्सालय के साथ निजी अस्पतालों की ओपीडी में ऐसी महिला मरीजों की संख्या अचानक बढ़ी है। चिकित्सकों के मुताबिक सौ में दस से 12 महिलाएं मोटापा बढ़ने की शिकायत लेकर आ रही हैं। अधिकतर को मोटापा बढ़ने के बाद अन्य बीमारियां घेर रही हैं। कुछ महिलाओं में थायराइड और मासिक धर्म के असंतुलन की पुष्टि हो रही है तो कुछ में डिप्रेशन, हाई बीपी, शुगर लेवल का बढ़ना और जोड़ों में दर्द की अधिकता पाई जा रही है।

मोटाबोलिक सिंड्रोम साधने की जरूरत
मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शक्ति जैन महिलाओं में मोटापे की समस्या को गंभीर बतातीं हैं। उन्होंने बताया कि ओपीडी में ऐसे मरीज आ रहे हैं। परेशानी दूसरी है कि मोटापे के साथ अन्य गंभीर बीमारियों की पुष्टि ज्यादा कष्टकारी है। उन्होंने बताया कि परीक्षण के दौरान पाया गया कि कोरोना काल में अनियमित दिनचर्या, ओवर ईटिंग, वर्क आउट का छोड़ना अब भारी पड़ रहा है। ऐसी महिलाओं का वजन दस से 15 किलो बढ़ गया है। साथ में गंभीर बीमारियां, हार्मोनल डिस्बैलेंस बॉडी रेग्यूलेटरी को बिगाड़ने को तैयार है।

हार्मोंस मोटापा ही नहीं अन्य बीमारियों का कारण
स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मेहा अग्रवाल के मुताबिक सही है कि कोरोना काल में महिलाओं की दुश्वारियां बढ़ी हैं। हार्मोंस असंतुलित होने से मोटापा ही नहीं अन्य बीमारियां घेर रहीं हैं। शरीर का मोटाबॉलिज्म डिस्टर्ब हो रहा। डॉ. मेहा बताती हैं कि ओपीडी में आने वाली कम से कम दस फीसदी महिलाएं मोटापे से पीड़ित हैं। सभी का वजन बीते 16 से 18 महीनों में बढ़ा है। जांच में पाया जा रहा है कि हार्मोनल इनबैलेंस की वजह से मीनोपॉज, डिप्रेशन, शरीर में रक्त शर्करा का बढ़ना, थायराइड, जोड़ों में दर्द, हाई बीपी जैसी बीमारियां घेर रही हैं। उन्होंने बताया कि कई मामलों में सामने आया है कि मोटापे के साथ महिलाओं और कम उम्र की लड़कियों की आंखें भी कमजोर हो गई हैं। लगातार कई घंटे टीवी या मोबाइल देखने और लैपटॉप पर काम करने के साइड इफेक्ट मोटापे का कारण बन रहे हैं।

छह कारण जो बढ़ा रहे हैं मोटापा
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमन पांडेय के मुताबिक महिलाओं में हार्मोनल इंन बैलेंस कई बार होता है। 18 से 45 वर्ष के बीच की महिलाओं में मोटापे हार्मोंस असंतुलित होने से शरीर में इंसुलिन का बनना प्रभावित होता है। थायराइड, स्टेयरॉड हार्मोन कोर्टिसोल, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का संतुलन न होना, टेस्टेस्टोरेन का उत्पादन कम होना मोटापे का कारण बन रहे हैं। इन सभी हर्मोंस को संतुलित करने के उपाय हैं, बशर्ते जांच के बाद लगकर उपचार किया जाए।

विशेषज्ञों की सलाह

स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञों की सलाह है कि महिलाओं को सदैव भूख से कम भोजन करना चाहिए। घरेलू कार्यों के साथ व्यायाम और योग मोटापे से ही नहीं अन्य बीमारियों से बचाएगा। लाइफ स्टाइल चेंज करें, हेल्दी डाइट समस्याओं का हल ही नहीं बीमारियों से बचने को बिना दवा का सही उपचार है।