हाइलाइट्सकृषि उप निदेशक ने कहा- पराली को खेतों में जलाने से परहेज करेंपराली जलाने पर अन्य सुविधाओं से भी हाथ धोना पड़ सकता हैकृषि विभाग की तरफ से यंत्रों की खरीद पर 80 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही गाजीपुर
किसानों को अब अपने खेतों में पराली जलाना भारी पड़ सकता है। पराली जलाने को लेकर किसानों पर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान पहले से ही है। इस बीच एक कार्यक्रम के दौरान उप निदेशक कृषि के ऐलान ने किसानों की परेशानी पर बल ला दिया है।
उप निदेशक कृषि के अनुसार, खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को कृषि विभाग से मिलने वाली सुविधाओं से हाथ धोना पड़ेगा। साथ ही किसान निधि पाने वाले किसानों को इससे हाथ धोना पड़ सकता है।
सुविधाओं पर बैन
गुरुवार को गाजीपुर के पीजी कालेज कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में फसल अवशेष जलाने को लेकर गोष्ठी हुई। कृषि उप निदेशक अतीन्द्र सिंह ने कहा कि किसान पराली को खेतों में जलाने से परहेज करें। अगर खेतों में पराली जलाते पाई गई तो ऐसे किसानों को कृषि विभाग से विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाली सब्सिडी से हाथ धोना पड़ सकता है। यहां तक की किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद भी बंद की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल पराली जलाने को लेकर 5 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने आगे किसानों को कहा कि आजकल ऐसे यंत्र मौजूद हैं, जो फसल अवशेष प्रबंधन में उनके लिए बेहद कारगर साबित होंगे। कृषि विभाग की तरफ से ऐसे यंत्रों की खरीद पर 80 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है।
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पशुओं के चारे के तौर पर भी हो सकता है पराली का उपयोग
अतीन्द्र सिंह ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि पराली जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस भारी मात्रा में निकलती है, जो वायुमंडल को दूषित करती है। पराली के बेहतर प्रबंधन से खेतों की मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है। पराली को पशुओं के चारे के तौर पर भी प्रयोग किया जा सकता है।
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