अखाड़ा… घूंघट और दंगल, महिलाओं ने दिए धोबी पछाड़ दांव – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

अखाड़ा… घूंघट और दंगल, महिलाओं ने दिए धोबी पछाड़ दांव

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में सोमवार को दोपहर बाद घूंघट वाली महिलाएं दंगल में खूब भिड़ीं। बूढ़ी महिला के ढोल बजाने के साथ ही अखाड़े में डेढ़ दर्जन से अधिक कुश्तियां हुईं। जिसमें कुश्ती जीतने वाली महिलाओं को सरपंच (ग्राम प्रधान) ने पुरस्कृत भी किया। दंगल के चारों तरफ पुरुषों पर नजर रखने के लिए महिलाएं लाठी डंडे से मुस्तैद रहीं।

जिले के मुस्करा विकास खंड के लोदीपुर निवादा गांव में पुरानी बाजार स्थित अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुआ महिलाओं का दंगल सोमवार को शाम आयोजित किया। जिसे गांव की सरपंच (ग्राम प्रधान) गिरजा देवी ने दो महिलाओं को हाथ मिलवाकर कुश्ती का शुभारंभ कराया। अखाड़े में महिलाओं की 44 कुश्तियां कराई गईं। जिसमें घूंघट वाली तमाम महिलाओं की गुत्थमगुत्था देख किशोरियां ताली बजाने लगीं। दंगल में कई बुजुर्ग महिलाएं भी घूंघट वाली महिलाओं से भिड़ी।

दंगल में बन्दो देवी ने सुशीला को हराया। वहीं, केशर-विमला के बीच हुई कुश्ती में केशर ने बाजी मारी। मीरा ने घूंघट की ओट में गोरी को अखाड़े में पटक दिया। अखाड़े में बुजुर्ग महिला ढोल बजाकर लोगों का उत्साह बढ़ाती रहीं। दंगल में महिला प्रधान ने कुश्ती लड़ने वाली सभी 44 महिलाओं को गिफ्ट और पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। इनमें कल्ली पाल, केसर देवी और मीरा को विशेष तौर पर पुरस्कृत किया गया है।

अंग्रेजों के जमाने से जारी है महिलाओं के दंगल की परम्परा
गांव की प्रधान गिरजा देवी और प्रतिनिधि नाथूराम वर्मा ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत में फौजों ने यहां लोगों पर बड़ा अत्याचार किया था, तभी महिलाओं ने अपनी हिफाजत के लिए बिना कुश्ती के दांवपेंच सीखे थे। बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में यहीं इकलौता गांव है, जहां सैकड़ों सालों से महिलाएं अखाड़े में कुश्ती लड़ती हैं। इससे पूर्व महिलाएं मंगल गीत गाते हुए अखाड़े तक पहुंचीं।

तिरंगे के साथ BJP का झंडा… एसपी-कांग्रेस ने सरकार को घेरा, बीजेपी बोली- विपक्ष शव में मुद्दा तलाश रहा
महिलाओं के दंगल के ईद-गिर्द नहीं भटक पाए पुरुष
गांव की ग्राम प्रधान गिरजा देवी वर्मा ने बताया कि सोमवार की शाम दंगल में सिर्फ महिलाओं और किशोरियों को प्रवेश दिया गया, जबकि पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध था। दंगल के चारों ओर पुरुषों पर नजर रखने के लिए महिलाओं की एक टुकड़ी लाठी-डंडे से लैस होकर मुस्तैद रही। बताया कि महिलाओं के दंगल के समापन तक अखाड़े के आसपास कोई भी पुरुष नजर नहीं आया।