कोरोना से बचाव के लिए लगाए जा रहे टीके के कारण रिएक्टो जेनेसिटी (रिएक्शन की आशंका) की शिकायतें मिली हैं। बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों के अनुसंधान में यह निष्कर्ष सामने आया है कि वैक्सीन का रिएक्टो जेनेसिटी का सबसे अधिक असर महिलाओं पर मिला है। इस शोध को 23 जुलाई को प्रसिद्ध जर्नल लैंसेट की ओर से ई क्लीनिकल मेडिसिन नाम से प्रकाशित किया जा चुका है।
शोध के दौरान कोविशील्ड लगवाने वाले आठ सौ स्वास्थ्य कर्मियों पर अध्ययन किया गया। पाया गया है कि विदेशी वैक्सीन में जहां 60 से 80 फीसदी तक रिएक्टो जेनेसिटी है। इसमें भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में रिएक्शन की शिकायत ज्यादा मिली। वहीं, भारत में बनी वैक्सीन में यह 40 फीसदी है। टीकाकरण के बाद बुखार, वायरल, सर्दी, बदन दर्द, सिर दर्द, सुस्ती, चक्कर आना, कमजोरी, घबराहट, बेचैनी और चिंता के लक्षण देखे गए हैं।
शोध का अंतिम परिणाम आने में सालभर लग सकता है
हालांकि, यह असर दो चार दिनों तक रह सकता है। मगर इसका असर खत्म होने के बाद लोग सामान्य हो जाते हैं और कोरोना से लड़ने के लिए उनका शरीर मजबूत हो जाता है। जेरियाट्रिक मेडिसिन के डॉ. शंखशुभ्र चक्रवर्ती ने बताया कि बीएचयू में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों समेत आठ सौ पर शोध किया गया है। जिसमें 40 फीसदी लोगों में केवल हल्के लक्षण मिले हैं। इसके बाद वह ठीक हो गए हैं। अभी यह शोध प्रारंभिक दौर में अंतिम परिणाम आने में एक वर्ष तक का समय लग सकता है।
बीएचयू में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के फार्माक्लॉजी, जिरीयाट्रिक मेडिसिन, कम्यूनिटी विभाग के साथ ही सेंटर फार बायो स्टेटिक्स से डॉ. उपिंदर कौर, डॉ. बिशेश्वर ओझा, डॉ. भैरव कुमार पाठक, डॉ. अनूप सिंह, डॉ. किरन आर गिरी, डॉ. अमित सिंह, डॉ. अग्निवा दास, डॉ. अनामिका मिश्रा, डॉ. आशीष कुमार यादव,
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