हमीरपुर यमुना और बेतवा नदियों के बीच बसा है। शहर और कई गांव, मजरे बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। चंबल नदी से 22 लाख क्यूसेक पानी पास किए जाने से यहां यमुना नदी खतरे के निशान से तीन मीटर और माताटीला डैम से फिर 3.70 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बेतवा नदी दो मीटर ऊपर बह रही है। शहर के डिग्गी, भोला का डेरा, चूरामन का डेरा, मेरापुर, भिलांवा, चन्दुलीतीर, ब्रम्हा का डेरा सहित कई गांव, मजरे में बाढ़ का पानी भर गया है। भिलांवा में यमुना किनारे चैतन्य आश्रम बना है। कई करोड़ की लागत निर्माण कार्यों में खर्च भी हो गई है, लेकिन बाढ़ से इसे बचाया नहीं जा सका। यमुना की उफान से यहां कई फीट तक पानी भर गया है। तमाम घर भी कटान से गिर गए।
शहर के अंदर पुराना यमुना घाट, बेतवा घाट, गांधी नगर गौरादेवी और हाथी दरवाजा के निचले रिहायशी इलाके बाढ़ के पानी से डूब चुके हैं। केन नदी की बाढ़ की जद में मौदहा क्षेत्र के तमाम गांव आ गए हैं। वहीं, नदियों की बाढ़ से हजारों बीघे की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। जिलाधिकारी ज्ञानेश्वर ज्ञिपाठी ने बताया कि बाढ़ से 13 गांव प्रभावित हुए हैं। 1327 लोग को राहत सामग्री वितरित कराई जा रही है। बाढ़ से निपटने के लिए भी नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।
चौबीस घंटे से बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिली राहत सामग्री
डिग्री मुहाल में बाढ़ का पानी भर जाने से दो दर्जन लोग रात में ही गृहस्थी समेट कर बेतवा पुल के पास हाइवे किनारे डेरा डाला है। कमला, मालती, कालीदीन समेत तमाम पीड़ितों ने बताया कि बाढ़ के पानी से मकान पूरी तरह से डूब गए हैं। अभी तक राहत सामग्री नहीं मिली है। सुबह से कुछ भी खाने को नहीं मिला है। राठ तिराहे के पास भी 3 दर्जन बाढ़ पीड़ित डेरा डाले हैं। जिन्हें मदद नहीं मिली है।
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