योजना के अनुसार, पार्टी के महासचिव, सचिव, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी और पंचायत अध्यक्ष तक के सभी पदाधिकारियों को उनकी भूमिका के अनुसार हर गांव-गांव तक पहुंचकर हर गांव में एक प्रधान की नियुक्ति करेंगे। ये प्रधान गांव में किसानों, श्रमिकों, युवाओं और महिलाओं के सभी प्रमुख वर्गों में से कुछ सदस्यों को अपने साथ जोड़कर एक 20 सदस्यीय कमेटी का गठन करेंगे। इस अभियान को सफल बनाने के लिए लोगों को अपने साथ कैसे जोड़ना है, इसके लिए 12 अगस्त को ग्राम पंचायत अध्यक्षों का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।
इस कमेटी का कार्य पार्टी की केंद्रीय स्तर पर बन रही योजनाओं-रणनीतियों को लक्षित वर्ग तक पहुंचाना और उसके बारे में जनता को जागरूक करना होगा। जैसे पार्टी किसानों के विषय में कोई अभियान चलाती है तो इस ग्रामीण कमेटी के माध्यम से गांव-गांव तक के किसानों तक पार्टी की सोच को पहुंचाकर पार्टी एक बड़ा समर्थक वर्ग तैयार किया जाएगा।
क्यों अपनाई यह रणनीति
दरअसल, वर्ष 2012, 2014, 2017 और 2019 के चुनावों के अनुभवों से पार्टी ने सीखा है कि उसके शीर्ष नेताओं के प्रति जनता में काफी आकर्षण है, लेकिन जमीनी कार्यकर्ताओं-समर्थकों की कमी के कारण जनता का यह आकर्षण वोट में तब्दील नहीं हो सका। लोग भारी संख्या में पार्टी के केंद्रीय नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सुनने के लिए आए, लेकिन इन्हीं समर्थकों को वोटों के रूप में नहीं बदला जा सका।
पार्टी की रणनीति है कि अगर हर गांव के स्तर पर उसके कार्यकर्ता होंगे तो वे मतदान के समय इन समर्थकों को वोटरों में तब्दील करने का काम करेंगे। इससे 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव में पार्टी का आधार बढ़ेगा।
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