इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि आईपीसी की धारा 315 में संशोधन के बाद 15 साल से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी की जमानत मंजूर कर ली। मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत अर्जी पर जस्टिस मो असलम ने सुनवाई की।
याची के खिलाफ उनकी पत्नी ने मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था। याची के वकील का कहना था कि मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में पीड़िता ने अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और याची के भाइयों के दुष्कर्म करने की बात से इनकार किया है।
धारा 375 में हुए कई संशोधन
आईपीसी की धारा 375 में 2013 में किए गए संशोधन के बाद 15 साल की आयु से अधिक की पत्नी से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में कई संशोधन किए गए हैं। कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए शर्तों के साथ उसे रिहा करने का आदेश दिया है।
केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, पीड़िता की जांघों के बीच गलत हरकत भी बलात्कार के बराबर
केरल हाई कोर्ट का फैसला भी महत्वपूर्ण
इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने भी रेप मामले में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट का कहना है कि पीड़िता की जांघों के बीच में कोई गलत हरकत की जाती है तो इसे भी बलात्कार के समान ही माना जाएगा। गलत हरकत सीधे तौर पर महिला के शरीर के साथ छेड़छाड़ है और यह बलात्कार के अपराध के बराबर ही है। हाई कोर्ट ने बलात्कार के अपराध के दोषी की अपील पर सुनाए गए फैसले में यह टिप्पणी की। इस मामले में निचली अदालत ने एक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी ठहराया था क्योंकि उसने अपने पड़ोस में रहने वाली नाबालिग लड़की के शरीर के कई अंगों के साथ गलत तरीके से छेड़छाड़ करके उसका यौन उत्पीड़न किया था।
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