लोक निर्माण विभाग के खंड चार में कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि बढ़ाने का मामला सामने आया है। इस खंड के दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में उनकी उम्र कम दर्ज कर दी गई है। मामले का खुलासा होने पर अधीक्षण अभियंता ने संबंधित बाबू का पटल परिवर्तन कर अन्य को यह जिम्मेदारी सौंपने का आदेश दिया है। उधर, मामले में एक्सईएन ने जांच शुरू कर दी है। संबंधित बाबू से मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक खंड चार के दो दर्जन बाबुओं की सेवा पुस्तिका में उम्र बढ़ाई गई है। जिससे कि वह विभाग में अधिक दिनों तक नौकरी कर सकें। मामले का खुलासा पिछले हफ्ते हुआ। जब सेवानिवृत्त हो रहे दो कर्मचारियों की ओर से अंकपत्र व सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि अलग-अलग होने का हवाला देकर आपत्ति जताई गई। मामले में अधीक्षण अभियंता ने 27 जनवरी 1995 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में एक बार दर्ज जन्मतिथि को परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
पहली बार दर्ज की गई जन्मतिथि के आधार पर सेवानिवृत्ति की जाएगी। साथ ही उन्होंने सभी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका की जांच के आदेश दिए। तब पता चला कि खंड चार के 24 बाबुओं की उम्र सेवा पुस्तिका में बढ़ाई गई है। अधिशासी अभियंता राम स्वरूप वर्मा के मुताबिक तकरीबन सेवा पुस्तिका में ऐसी गड़बड़ी अभी पाई गई है। पहली बार अंकित की गई जन्मतिथि को काटकर दूसरी लिख दी गई है। उन्होंने कहा कि संबंधित बाबू से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे खुला मामला
दरअसल, विभाग के दो कर्मचारियों की सेवानिवृत्त 31 जुलाई को होनी है। उन्हें विभाग की तरफ से पत्र भेजा गया। इस पर उनकी ओर से आपत्ति जताई गई। कर्मचारियों का कहना है कि जो जन्मतिथि उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज है, वह उनके अंकपत्र से मेल नहीं खाती है। उनके अंकपत्र में अलग जन्मतिथि है। उनकी इस आपत्ति को लेकर संबंधित पटल बाबू की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता को पत्र भेजकर राय मांगी गई।
पूछा गया कि कौन सी जन्मतिथि को सही माना जाए? इस पत्र की एक-एक प्रति अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता को भी भेजी गई। जिस पर अधीक्षण अभियंता ने 27 जनवरी 1995 के शासनादेश का हवाला देते हुए स्थिति स्पष्ट की। साथ ही अधीक्षण अभियंता ने मामले में अधिशासी अभियंता खंड चार को पत्र भेजकर संबंधित बाबू का पटल परिवर्तन करने का आदेश दिया। साथ ही उसकी जगह पर किसी दूसरे बाबू को इसका दायित्व सौंपने को कहा। उधर, जब अधिशासी अभियंता ने जांच शुरू की तो सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि बढ़ाने के मामले का खुलासा हुआ।
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