सार
पाकिस्तान में साजिश के बाद दरभंगा ब्लास्ट को अंजाम दिया गया। इसके बाद भी आतंकी यूपी में सक्रिय रहे। लेकिन इस बार एटीएस की टीम ने लखनऊ में अलकायदा के आतंकियों को गिरफ्तार कर साजिश को नाकाम कर दिया। पढ़िए शुरू से आखिरी तक क्या-क्या हुआ।
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बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए पार्सल ब्लास्ट के तार उत्तर प्रदेश के शामली जिले से जुड़े तो एनआईए की टीम ने ताबड़तोड़ छामामारी की। छापामारी के दौरान एनआईए की टीम ने शामली के कैराना से दो लोगों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की। पूछताछ में उनका कनेक्शन आईएसआई से निकला तो पश्चिमी यूपी में पुलिस अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया। इसके बाद एनआईए की टीम ने हैदराबाद में रह रहे कैराना के दो भाइयों नासिर और इमरान खान को भी गिरफ्तार किया। इन चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।उधर, एटीएस की टीम ने रविवार को लखनऊ में कार्रवाई करते हुए अलकायदा के दो आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। अलकायदा के आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद पूरे यूपी में अलर्ट जारी करते हुए एनआईए की टीम ने छापामारी शुरू कर दी। वहीं एनआईए की टीम ने शनिवार को मेरठ में किठौर के कायस्थ बढड़ा गांव में छापा मारा है। जहां से जिला पंचायत सदस्य चुनाव में रहे प्रत्याशी के भाई को एनआईए की टीम पकड़कर ले गई। वहीं लखनऊ में पकड़े गए आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकियों ने पूछताछ में कई चौंका देने वाले खुलासे किए। आतंकियों ने इस बार लखनऊ को बड़ा ठिकाना बनाया था। खासकर विस्फोटक इकट्ठा करने, आईईडी बनाने व साजिश रचने का ठिकाना लखनऊ में बनाया। लेकिन कानपुर में उनके स्लीपर सेल सक्रिय रहे। यहां से तमाम जानकारियां व फंडिंग उनको की जा रही थी। पहले लखनऊ और फिर कानपुर को निशाना बनाना आतंकियों की साजिश थी। हालांकि जांच एजेंसी ने इनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।
शामली से जुड़े थे दरभंगा ब्लास्ट के तार
बिहार के दरभंगा ब्लास्ट का मास्टरमाइंड कैराना का सलीम था। उसकी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई से रोजाना बातचीत होती थी। वह साधारण मोबाइल ही रखता था ताकि किसी को शक न हो। ब्लास्ट से पहले कपड़ों की पोटली का एक फोटो सलीम ने अपने दोस्त कासिम के मोबाइल से भेजा था। ब्लास्ट की पूरी साजिश सलीम ने रची और तेलंगाना तक अपना जाल फैलाया। एनआईए ने मामले की छानबीन की और कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए।शामली के कैराना निवासी सलीम और कासिम को पकड़कर एनआईए की टीम अपने साथ ले गई थी। दोनों का कनेक्शन पाकिस्तान से जुड़ा है और उनकी बिहार के दरभंगा ब्लास्ट के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका थी। एनआईए ने पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों से काफी जानकारी जुटाकर तेलंगाना के दो युवक इमरान और नावेद को भी पकड़ा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दरभंगा ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सलीम था और उसने बड़ी प्लानिंग करके वारदात को अंजाम दिलाया। उसके पास एक साधारण मोबाइल है, जिसमें इंटरनेट नहीं चलता। व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्ट्राग्राम पर मैसेज भेजने के लिए सलीम ने सबसे पहले अपने दोस्त कासिम को जोड़ा। सलीम ही आईएसआई से फोन पर बात करता था, अगर कोई मैसेज भेजना होता था तो कासिम के मोबाइल से भेजा जाता था।
लखनऊ में पकड़े अलकायदा के दो आतंकी
काकोरी के दुबग्गा बेगरिया में अलकायदा आतंकवादी मिनहाज और उसके करीबी शाहिद को एटीएस ने रविवार को पकड़ा है। एटीएस की कार्रवाई की भनक दोनों को लग गई थी। शनिवार शाम से एटीएस व क्राइम ब्रांच ने मिनहाज व शाहिद के घर पर निगरानी रखनी शुरू कर दी थी। लगातार अंजान लोगों की आमद देख दोनों को संदेह हो गया था। रविवार सुबह भागने की पूरी तैयारी कर चुके थे। लेकिन उनकी गाड़ी पंचर हो गई थी। गैराज में ही उसने घर के पास रहने वाले कारीगर को बुलाकर टायर सही करवाया। रुपये के लेनदेन को लेकर उससे कुछ कहासुनी हो गई। इसी कारण दोनों को भागने का मौका नहीं मिल सका। इसी बीच एटीएस ने पूरे इलाके को घेरकर दबोच लिया।एटीएस ने लखनऊ में गिरफ्तार किए गए आतंकियों को सोमवार को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। वो 15 अगस्त को प्रदेश के अलग-अलग जिलों में धमाके की तैयारी कर रहे थे। पकड़े गए आतंकियों की पहचान मसीरुद्दीन और मिनहाज के रूप में हुई है। एटीएस को उनके पास से पिस्टल और प्रेशर कुकर बम बरामद हुए थे।यूपीएटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों मशीरुद्दीन और मिनहाज को 26 जुलाई तक रिमांड पर लिया गया है। इस दौरान उनसे पूछताछ की जाएगी और उनके साथियों की तलाश होगी। दोनों को कड़ी सुरक्षा के बीच हाई कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद रहे।
एनआईए ने मेरठ में भी की छापामारी
एनआईए और पंजाब पुलिस ने मेरठ के हस्तिनापुर के दूधली गांव में रविवार को छापा मारकर परमवीर नाम के युवक को पकड़ा है। तलाशी के दौरान उसके घर से नकदी भी बरामद की गई है। शनिवार को भी एनआईए ने किठौर क्षेत्र के कायस्थ बढ़ला गांव से आसिफ को पकड़ा था। दोनों खालिस्तान समर्थक बताए जा रहे हैं। दूधली गांव निवासी परमवीर गगनदीप का रिश्तेदार बताया जा रहा है। इन दोनों के अलावा किठौर से पकड़े गए आसिफ का भी कनेक्शन खालिस्तान समर्थकों से जुड़ा है। आसिफ के जरिए खालिस्तान समर्थकों को हथियारों की सप्लाई हो रही थी। एनआईए ने आसिफ को भी गगनदीप की निशानदेही पर ही पकड़ा था।
अलकायदा के आतंकियों से एटीएस ने की पूछताछ, चौंकाने वाला खुलासा
लखनऊ में पकड़े गए आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकियों ने पूछताछ में कई चौंका देने वाले खुलासे किए है। आतंकियों ने इस बार लखनऊ को बड़ा ठिकाना बनाया था। खासकर विस्फोटक इकट्ठा करने, आईईडी बनाने व साजिश रचने का ठिकाना लखनऊ में बनाया। मगर कानपुर में उनके स्लीपर सेल सक्रिय रहे। यहां से तमाम जानकारियां व फंडिंग उनको की जा रही थी। पहले लखनऊ और फिर कानपुर को निशाना बनाना आतंकियों की साजिश थी। हालांकि जांच एजेंसी ने इनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।सूत्रों के मुताबिक जहां से असलहा और पिस्टल खरीदी है बेचने वाले से इनका आमना-सामना कराया जाएगा। जिन लोगों का आतंकी नाम लेंगे और जिन लोगों के बारे में सीडीआर आदि से जानकारी मिलेगी उन सभी की भूमिका की जांची जाएगी। साक्ष्य जिनके खिलाफ मिलेंगे उन पर कार्रवाई होगी। चमनगंज में असलहा तस्करों का एक बड़ा गिरोह रहता है। वर्तमान में गिरोह का प्रमुख सदस्य जेल में बंद है। उसके गुर्गे पूरा काम संभाल रहे हैं। इस शख्स के चाचा व अन्य परिजन शातिर अपराधी रहे हैं। शहर में असलहों का बड़ा काम है। सुपारी किलर अक्सर इसी गिरोह से असलहा खरीदते हैं। सूत्रों के मुताबिक आशंका है कि आतंकियों को इसी गिरोह के जरिये पिस्टल दिलाई गई है। भविष्य में भी भारी मात्रा में चमनगंज से ही असलहा आतंकियों को सप्लाई होना था। इसलिए ये गिरोह जांच एजेंसी की रडार पर आ गया है। परतें खंगाली जा रही हैं।
विस्तार
बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए पार्सल ब्लास्ट के तार उत्तर प्रदेश के शामली जिले से जुड़े तो एनआईए की टीम ने ताबड़तोड़ छामामारी की। छापामारी के दौरान एनआईए की टीम ने शामली के कैराना से दो लोगों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की। पूछताछ में उनका कनेक्शन आईएसआई से निकला तो पश्चिमी यूपी में पुलिस अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया। इसके बाद एनआईए की टीम ने हैदराबाद में रह रहे कैराना के दो भाइयों नासिर और इमरान खान को भी गिरफ्तार किया। इन चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
उधर, एटीएस की टीम ने रविवार को लखनऊ में कार्रवाई करते हुए अलकायदा के दो आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। अलकायदा के आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद पूरे यूपी में अलर्ट जारी करते हुए एनआईए की टीम ने छापामारी शुरू कर दी। वहीं एनआईए की टीम ने शनिवार को मेरठ में किठौर के कायस्थ बढड़ा गांव में छापा मारा है। जहां से जिला पंचायत सदस्य चुनाव में रहे प्रत्याशी के भाई को एनआईए की टीम पकड़कर ले गई।
वहीं लखनऊ में पकड़े गए आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकियों ने पूछताछ में कई चौंका देने वाले खुलासे किए। आतंकियों ने इस बार लखनऊ को बड़ा ठिकाना बनाया था। खासकर विस्फोटक इकट्ठा करने, आईईडी बनाने व साजिश रचने का ठिकाना लखनऊ में बनाया। लेकिन कानपुर में उनके स्लीपर सेल सक्रिय रहे। यहां से तमाम जानकारियां व फंडिंग उनको की जा रही थी। पहले लखनऊ और फिर कानपुर को निशाना बनाना आतंकियों की साजिश थी। हालांकि जांच एजेंसी ने इनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।
शामली से जुड़े थे दरभंगा ब्लास्ट के तार
बिहार के दरभंगा ब्लास्ट का मास्टरमाइंड कैराना का सलीम था। उसकी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई से रोजाना बातचीत होती थी। वह साधारण मोबाइल ही रखता था ताकि किसी को शक न हो। ब्लास्ट से पहले कपड़ों की पोटली का एक फोटो सलीम ने अपने दोस्त कासिम के मोबाइल से भेजा था। ब्लास्ट की पूरी साजिश सलीम ने रची और तेलंगाना तक अपना जाल फैलाया। एनआईए ने मामले की छानबीन की और कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए।
शामली के कैराना निवासी सलीम और कासिम को पकड़कर एनआईए की टीम अपने साथ ले गई थी। दोनों का कनेक्शन पाकिस्तान से जुड़ा है और उनकी बिहार के दरभंगा ब्लास्ट के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका थी। एनआईए ने पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों से काफी जानकारी जुटाकर तेलंगाना के दो युवक इमरान और नावेद को भी पकड़ा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दरभंगा ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सलीम था और उसने बड़ी प्लानिंग करके वारदात को अंजाम दिलाया। उसके पास एक साधारण मोबाइल है, जिसमें इंटरनेट नहीं चलता। व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्ट्राग्राम पर मैसेज भेजने के लिए सलीम ने सबसे पहले अपने दोस्त कासिम को जोड़ा। सलीम ही आईएसआई से फोन पर बात करता था, अगर कोई मैसेज भेजना होता था तो कासिम के मोबाइल से भेजा जाता था।
लखनऊ में पकड़े अलकायदा के दो आतंकी
काकोरी के दुबग्गा बेगरिया में अलकायदा आतंकवादी मिनहाज और उसके करीबी शाहिद को एटीएस ने रविवार को पकड़ा है। एटीएस की कार्रवाई की भनक दोनों को लग गई थी। शनिवार शाम से एटीएस व क्राइम ब्रांच ने मिनहाज व शाहिद के घर पर निगरानी रखनी शुरू कर दी थी। लगातार अंजान लोगों की आमद देख दोनों को संदेह हो गया था। रविवार सुबह भागने की पूरी तैयारी कर चुके थे। लेकिन उनकी गाड़ी पंचर हो गई थी। गैराज में ही उसने घर के पास रहने वाले कारीगर को बुलाकर टायर सही करवाया। रुपये के लेनदेन को लेकर उससे कुछ कहासुनी हो गई। इसी कारण दोनों को भागने का मौका नहीं मिल सका। इसी बीच एटीएस ने पूरे इलाके को घेरकर दबोच लिया।एटीएस ने लखनऊ में गिरफ्तार किए गए आतंकियों को सोमवार को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। वो 15 अगस्त को प्रदेश के अलग-अलग जिलों में धमाके की तैयारी कर रहे थे। पकड़े गए आतंकियों की पहचान मसीरुद्दीन और मिनहाज के रूप में हुई है। एटीएस को उनके पास से पिस्टल और प्रेशर कुकर बम बरामद हुए थे।यूपीएटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों मशीरुद्दीन और मिनहाज को 26 जुलाई तक रिमांड पर लिया गया है। इस दौरान उनसे पूछताछ की जाएगी और उनके साथियों की तलाश होगी। दोनों को कड़ी सुरक्षा के बीच हाई कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद रहे।
एनआईए ने मेरठ में भी की छापामारी
एनआईए और पंजाब पुलिस ने मेरठ के हस्तिनापुर के दूधली गांव में रविवार को छापा मारकर परमवीर नाम के युवक को पकड़ा है। तलाशी के दौरान उसके घर से नकदी भी बरामद की गई है। शनिवार को भी एनआईए ने किठौर क्षेत्र के कायस्थ बढ़ला गांव से आसिफ को पकड़ा था। दोनों खालिस्तान समर्थक बताए जा रहे हैं। दूधली गांव निवासी परमवीर गगनदीप का रिश्तेदार बताया जा रहा है। इन दोनों के अलावा किठौर से पकड़े गए आसिफ का भी कनेक्शन खालिस्तान समर्थकों से जुड़ा है। आसिफ के जरिए खालिस्तान समर्थकों को हथियारों की सप्लाई हो रही थी। एनआईए ने आसिफ को भी गगनदीप की निशानदेही पर ही पकड़ा था।
अलकायदा के आतंकियों से एटीएस ने की पूछताछ, चौंकाने वाला खुलासा
लखनऊ में पकड़े गए आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकियों ने पूछताछ में कई चौंका देने वाले खुलासे किए है। आतंकियों ने इस बार लखनऊ को बड़ा ठिकाना बनाया था। खासकर विस्फोटक इकट्ठा करने, आईईडी बनाने व साजिश रचने का ठिकाना लखनऊ में बनाया। मगर कानपुर में उनके स्लीपर सेल सक्रिय रहे। यहां से तमाम जानकारियां व फंडिंग उनको की जा रही थी। पहले लखनऊ और फिर कानपुर को निशाना बनाना आतंकियों की साजिश थी। हालांकि जांच एजेंसी ने इनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।सूत्रों के मुताबिक जहां से असलहा और पिस्टल खरीदी है बेचने वाले से इनका आमना-सामना कराया जाएगा। जिन लोगों का आतंकी नाम लेंगे और जिन लोगों के बारे में सीडीआर आदि से जानकारी मिलेगी उन सभी की भूमिका की जांची जाएगी। साक्ष्य जिनके खिलाफ मिलेंगे उन पर कार्रवाई होगी। चमनगंज में असलहा तस्करों का एक बड़ा गिरोह रहता है। वर्तमान में गिरोह का प्रमुख सदस्य जेल में बंद है। उसके गुर्गे पूरा काम संभाल रहे हैं। इस शख्स के चाचा व अन्य परिजन शातिर अपराधी रहे हैं। शहर में असलहों का बड़ा काम है। सुपारी किलर अक्सर इसी गिरोह से असलहा खरीदते हैं। सूत्रों के मुताबिक आशंका है कि आतंकियों को इसी गिरोह के जरिये पिस्टल दिलाई गई है। भविष्य में भी भारी मात्रा में चमनगंज से ही असलहा आतंकियों को सप्लाई होना था। इसलिए ये गिरोह जांच एजेंसी की रडार पर आ गया है। परतें खंगाली जा रही हैं।
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